लखनऊ के तेलीबाग स्थित परिकल्प भवन में भारतीय पशु चिकित्सा संघ की आम सभा, संघ द्वारा प्रकाशित इंडियन वेटरनरी जर्नल के 100 वर्ष पूरे होने और उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ के भी शताब्दी वर्ष के अवसर पर अखिल भारतीय समारोह का आयोजन किया गया

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लखनऊ के तेलीबाग स्थित परिकल्प भवन में भारतीय पशु चिकित्सा संघ की आम सभा, संघ द्वारा प्रकाशित इंडियन वेटरनरी जर्नल के 100 वर्ष पूरे होने और उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ के भी शताब्दी वर्ष के अवसर पर अखिल भारतीय समारोह का आयोजन किया गया। पशु चिकित्सा सेवा संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वेटरनरी डॉक्टर का पशुधन की सुरक्षा और पशुजन्य उत्पादों की गुणवत्ता और उत्पादकता को बनाए रखने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है। पशु चिकित्सा संघ पशु चिकित्सा विज्ञान को उन्नत कर रहा है। हम सभी पशु चिकित्सकों के शोध, चिकित्सा और पशु चिकित्सा के कल्याण में उनके काम की सराहना करते हैं। यह संघ पशु चिकित्सकों के कल्याण के लिए काम कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा पशुधन क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है।

इस अवसर पर आईवीए द्वारा फील्ड में कार्यरत पशु चिकित्सकों को लेटेस्ट जानकारी और नवीनतम शोध उपलब्ध कराने के अंतर्गत प्रकाशित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय जर्नल के गौरवशाली 100 वर्ष पूर्ण होने पर बधाई और शुभकामनाएं दी। भारतीय पशु चिकित्सा संघ 1967 से पंजीकृत देश की पशु चिकित्सको की सर्वोच्च संस्था है, जिसके सदस्य सभी प्रदेशों के सेवा संघ विश्ववि‌द्यालयों के शिक्षाविद वैज्ञानिक संस्थानों के वैज्ञानिकगण, आरवीसी के अधिकारी, बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां आदि के सेवारत और सेवानिवृत अधिकारीगण आदि है।

पशुधन हमारे जीवन का आधार हैं और इन्हें संरक्षित रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। पहले पशुपालन सामूहिक रूप से किया जाता था, लेकिन समय के साथ इसमें परिवर्तन आया है। आज पशुधन से लोगों को न केवल लोगों को पौष्टिक आहार की पूर्ति हो रही है बल्कि बड़े पैमाने पर पशुजन्य उत्पादों के व्यवसाय से स्वरोजगार उत्पन्न हो रहा है और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है। ऐसी स्थिति में पशु चिकित्सकों की भूमिका और महत्वपूर्ण होती जा रही है। संक्रामक रोगों के समय वेटरनरी डॉक्टर किसानों और पशुपालकों को पशुधन क्षति से भी बचा रहे हैं। पशुधन की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति हम सबकी भी जिम्मेदारी है और हमें पशुओं के प्रति और संवेदनशील होना होगा।

विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हुए बदलावों की वजह से आज पशुपालन में कई सुधार हुए हैं। उन्होंने छोटे आकार की गायों के बारे में भी चर्चा की, जो दिखने में बहुत सुंदर होती हैं और उनके आने से घर में सुख का अनुभव होता है। वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे ऐसे शोध करें जिससे पशुओं को घर में रखते हुए भी स्वस्थ रखा जा सके। पहले के समय में किसान अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च दूध और घी बेचकर उठाते थे। सभी को एकजुट रहने और पशुधन की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए प्रेरित किया। उद्यान, कृषि और पशुधन एक दूसरे के पूरक हैं और वैज्ञानिक तरीकों से इनकी उन्नति, विकास से ही किसानों और पशुपालकों की आय दोगुनी होगी। बागवानी, कृषि, पशुपालन में स्वरोजगार के अनेक अवसर हैं और राज्य सरकार द्वारा इन क्षेत्रों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है।

उक्त कार्यक्रम में प्रमुख सचिव, पशुधन, दुग्ध एवं मत्स्य विकास, श्री के रवींद्र नायक, पशुपालन विभाग के निदेशक उपस्थित रहे। इसके साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से आए वैज्ञानिक, डॉक्टर, शोधार्थी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।