अहमदाबाद प्लेन क्रैश: जांच के लिए उच्च-स्तरीय समिति की पहली बैठक आज, तीन महीने में सौंपेगी रिपोर्ट

नई दिल्ली: गुजरात के अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया विमान हादसे की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई हाई लेवल कमेटी की पहली बैठक आज सोमवार को दिल्ली में होगी। सरकार के नजदीकी सूत्रों ने यह जानकारी दी है। केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक का मकसद है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) तैयार किया जाए। वहीं, इस कमेटी को तीन महीने के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी।
गौरतलब है कि इस भयावह घटना की तकनीकी जांच की जिम्मेदारी विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) को सौंपा गया है। AAIB इस बात का पता लगाने के लिए जांच कर रहा है कि विमान तकनीकी रूप से कैसे और क्यों इस हादसे का शिकार हुआ। वहीं, यह हाई लेवल कमेटी एक समग्र और नीति-आधारित समाधान तैयारी करेगी, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
विमान में सवार 241 लोगों की मौत
बता दें कि गुरुवार, (12 जून) को अहमदाबाद के सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन जा रहा एअर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान टेकऑफ के कुछ देर बाद ही मेघानीगर स्थित मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे के वक्त इस विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें से सिर्फ एक व्यक्ति ही जिंदा बच पाया। बाकि, 241 लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी शामिल थे। दुर्घटनाग्रस्त विमान का ब्लैक बॉक्स शुक्रवार शाम हादसे की जगह से बरामद कर लिया गया है। ब्लैक बॉक्स में विमान की उड़ान से जुड़ा तकनीकी डेटा और पायलट की बातचीत रिकॉर्ड होती है, जो हादसे की असली कारणों की जानने में मदद करेगा।
केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन
मंत्रालय के 13 जून के आदेश के अनुसार, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता वाली इस समिति में नागर विमानन सचिव और गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सदस्य के रूप में शामिल हैं। गुजरात गृह विभाग, गुजरात आपदा मोचन प्राधिकरण, अहमदाबाद पुलिस आयुक्त, वायुसेना के महानिदेशक (निरीक्षण एवं सुरक्षा), नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के महानिदेशक और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के प्रतिनिधि भी समिति का हिस्सा हैं। अन्य सदस्यों में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक और फॉरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय के निदेशक शामिल हैं।