धान की खेती के लिए किसानों के लिए आवश्यक बातें

Lucknow: धान की खेती भारत में सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसलों में से एक है। इसकी खेती सही तरीके से करने पर किसान अच्छी पैदावार और मुनाफा कमा सकते हैं। नीचे धान की खेती के लिए जरूरी बातें विस्तार से दी गई हैं:
धान की खेती के लिए आवश्यक बातें:
1. जलवायु और मिट्टी
- जलवायु: धान की खेती के लिए गर्म और आद्र्र जलवायु (25°C से 35°C) उपयुक्त होती है।
- मिट्टी: दोमट, चिकनी या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जलधारण क्षमता हो — सबसे बेहतर रहती है।
- pH मान: 5.5 से 7 के बीच उपयुक्त होता है।
2. उन्नत किस्में
- किसानों को अपने क्षेत्र के अनुसार प्रमाणित उन्नत बीजों का चयन करना चाहिए, जैसे:
- IR-64, MTU-1010, BPT-5204, PR-114 (उत्तर भारत)
- Swarna, MTU-7029, Naveen, Jaya (पूर्वी भारत)
- Hybrid Varieties: जैसे KRH-2, Arize Tej अधिक उत्पादन देती हैं।
3. बीज उपचार और बुवाई
- बीज उपचार: बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक (जैसे कार्बेन्डाजिम) से उपचारित करें।
- बुवाई के तरीके:
- रोपाई विधि: 25-30 दिन की नर्सरी तैयार करके पौधों को मुख्य खेत में लगाएं।
- सीधी बुवाई: ट्रैक्टर या हाथ से सीधे बीज बोएं (कम पानी वाले क्षेत्र में उपयुक्त)।
4. खाद और उर्वरक प्रबंधन
- नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K) का संतुलित उपयोग जरूरी है।
- उर्वरक की सामान्य मात्रा प्रति एकड़:
- N:P:K = 60:30:30 किग्रा
- जैविक खाद (गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट) का उपयोग मृदा उर्वरता के लिए फायदेमंद है।
5. सिंचाई व्यवस्था
- धान को अधिक पानी की जरूरत होती है। खेत में लगातार 4-5 सेमी पानी बना रहना चाहिए।
- प्रत्यावर्ती गीलापन-सुखापन विधि (AWD) से जल बचाया जा सकता है।
6. निंदाई और गुड़ाई
- पहली निंदाई: रोपाई के 20-25 दिन बाद।
- दूसरी निंदाई: 40-45 दिन पर।
- कुशल खरपतवार नियंत्रण: पेंडिमिथालिन, बिसपाइरिबैक-सोडियम जैसे खरपतवारनाशकों का प्रयोग करें।
7. रोग और कीट नियंत्रण
- आम रोग: ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट, ब्राउन स्पॉट
- कीट: गंधी कीड़ा, तना छेदक, पत्ती लपेटक
- रोकथाम: नीम आधारित जैव कीटनाशक या रसायनों (जैसे कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड) का उपयोग।
8. फसल की कटाई
- जब 80-85% बालियाँ पीली हो जाएँ तब कटाई करें।
- कटाई के बाद धान को अच्छी तरह सुखाकर भंडारण करें।
✔️ किसानों के लिए अतिरिक्त सुझाव
- मृदा परीक्षण: खेत में खाद डालने से पहले मिट्टी की जांच जरूर कराएं।
- फसल बीमा: फसल जोखिम को देखते हुए बीमा कराएं।
- सरकारी योजनाएं: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, सॉयल हेल्थ कार्ड आदि का लाभ लें।
- संवर्धित खेती: SRI (System of Rice Intensification) तकनीक अपनाने से पानी की बचत और ज्यादा पैदावार संभव।