महाकुम्भ, भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक चेतना का स्पंदन है – केशव प्रसाद मौर्य
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य प्रयागराज के मुट्ठीगंज स्थित जमुना क्रिश्चियन इंटर कालेज में नगर निगम द्वारा आयोजित विश्व की सबसे बड़ी “हर घर महा रंगोली अभियान” कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलित हुए।कार्यक्रम में आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति को देखकर उनकी प्रशंसा की और प्रशस्ति पत्र भी दिया।55 हजार वर्ग फुट वाली यह विश्व की सबसे बड़ी रंगोली प्राकृतिक रंगों और फूलों से तीन दिन में तैयार की गई। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए सभी को बधाई दी एवं अभिनंदन किया।
कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम, महाकुंभ-2025 एक माह बाद शुरू होने वाला है। कुंभ मेले में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को विशिष्ट अनुभव मिले, इसके लिए विभिन्न योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है।
उप मुख्यमंत्री ने प्रयागराज स्थित सर्किट हाउस में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा किया बैठक में कुंभ मेले में लाइट, टेंट सिटी और कॉलोनी व्यवस्था व देखरेख पर विशेष फोकस करने, मेले की सभी सड़कों के चौड़ीकरण को जल्दी से जल्दी पूरा करने, वॉटर स्पोर्ट्स एवं एडवेंचर स्पोर्ट्स संबंधी गतिविधियों के संचालन व अन्य सभी विकास कार्यों की रफ्तार बढ़ाने के निर्देश दिए।
अधिकारियों व जनप्रतिनिधि से वार्ता करते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कहा कि महाकुंभ – 2025 स्वच्छ, सुरक्षित, व सुव्यवस्थित होगा।दिव्य, भव्य, डिजिटल महाकुंभ होगा।भारतीय संस्कृति के मुख्य आधार धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रयाग के कण-कण में विद्यमान हैं।
प्रयागराज निखिल विश्व का एकमात्र स्थान है, जहां त्रिवेणी संगम होता है। प्रजापति ब्रह्म की यज्ञ स्थली तीर्थराज प्रयाग में धवलधार गंगा और श्यामल यमुना के साथ अदृश्य सरस्वती आपस में मिलती हैं।यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर महाकुंभ 12 वर्ष के अंतराल पर एक बार फिर प्रयाग की पुण्य धरा पर आयोजित हो रहा है।
महाकुम्भ, भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक चेतना का स्पंदन है। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत- समावेशी भारत’ की दिव्य और जीवंत झांकी है।कुम्भ, एक मेला अथवा स्नान की डुबकी मात्र न होकर, भारतवर्ष की अनेकता में एकता का शाश्वत और समेकित जय-घोष है। महाकुम्भ एक ऐसा महान पर्व है जो नदी के पावन प्रवाह में समस्त विभेदों, विवादों और मतांतरों को विसर्जित कर देता है। यह सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण है । पृथ्वी पर लगने वाला यह सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम है। यह मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है। इस महाकुंभ का आयोजन इसके गौरव व गरिमा के अनुरूप हो , इसलिए सभी कार्य समय से सम्पादित कर लिया जाय।इसमें सभी को अपने सामाजिक दायित्वो का निर्वहन करना चाहिए।