एयर इंडिया के ब्लैक बॉक्स को नुकसान! अब अमेरिका खोलेगा बोइंग ड्रीमलाइनर के क्रैश का राज

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नई दिल्ली: गुजरात (Gujrat) के अहमदाबाद (Ahmedabad) में 12 जून को हुए एयर इंडिया (Air India) के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान हादसे (Plane Crash) की जांच में बड़ा अपडेट सामने आया है. बताया जा रहा है कि एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर (फ्लाइट AI-171) के ‘ब्लैक बॉक्स’ (Black Office) को नुकसान पहुंचा है. सूत्रों के अनुसार, डेटा रिकवरी (Data Recovery) की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए इसे अमेरिका (America) भेजा जा सकता है. हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया जाएगा. अगर ब्लैक बॉक्स वॉशिंगटन डीसी स्थित नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड को भेजा जाता है, तो भारतीय अधिकारियों की एक टीम भी उसके साथ जाएगी ताकि अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित किया जा सके.

‘ब्लैक बॉक्स’ वास्तव में दो चीजों से मिलकर बना होता है- कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR). एक रिकॉर्डर पायलटों की बातचीत को दर्ज करता है और दूसरा उड़ान से जुड़ा तकनीकी डाटा इकट्ठा करता है. यह दुर्घटनाओं की जांच में अहम भूमिका निभाते हैं. CVR कॉकपिट की बातचीत, बैक्रगाउंड शोर, एयर ट्रैफिक कंट्रोल से रेडियो संपर्क और चेतावनी संकेतों की रिकॉर्डिंग करता है. हालांकि, AI-171 विमान 2014 में डिलीवर किया गया था, जब CVR की अधिकतम रिकॉर्डिंग सीमा दो घंटे थी. वहीं, FDR हजारों उड़ान से संबंधित पैरामीटर को रिकॉर्ड करता है और आधुनिक विमानों में यह 25 घंटे तक डेटा स्टोर कर सकता है.

एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने 12 जून को दोपहर 1:39 बजे अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी थी. उड़ान भरने के 36 सेकंड बाद ही कॉकपिट से संकट संदेश (Mayday) भेजा गया, जो अहमदाबाद एटीसी को प्राप्त हुआ. इसके तुरंत बाद रेडियो संपर्क टूट गया. 1:40 बजे विमान सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से कुछ ही दूर, मेघानीनगर स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में 242 यात्रियों में से केवल एक शख्स ही जीवित बच पाया.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अन्य जांच एजेंसियां हादसे के अंतिम क्षणों की विस्तार से रिक्रिएट कर रही हैं. CVR से संकट संदेश और कॉकपिट में कप्तान सुमित सभरवाल और प्रथम अधिकारी क्लाइव कुंदर के बीच हुई बातचीत की पुष्टि होने की संभावना है. इससे पायलट की स्थिति, अलार्म पर उनकी प्रतिक्रिया और अंतिम क्षणों में लिए गए फैसलों का खुलासा हो सकेगा.