ईरान-इजरायल युद्ध से ग्लोबल ट्रेड को भारी नुकसान, 50 फीसदी बढ़ेगा ट्रांसपोर्टेशन चार्ज, भारत पर भी असर

Freight-Ship_V_jpg--1280x720-4g

नई दिल्ली: ईरान और इजरायल के बीच लगातार चार दिनों से जारी युद्ध ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को बढ़ा दिया है। इससे भारत के एक्सपोर्ट समेत ग्लोबल ट्रेड पर असर पड़ रहा है। इसके साथ ही हवाई और समुद्री माल ढुलाई लागत के अलावा इंश्योरेंस फीस में बढ़ोतरी का भी जोखिम बना हुआ है। एक्सपोर्टर्स का कहना है कि इस तनाव की वजह से यूरोप और रूस जैसे देशों को भारत का एक्सपोर्ट प्रभावित हो सकता है। यहीं नहीं अगर इन दोनों देशों के बीच यह संघर्ष लंबे वक्त तक चलता रहा, तो ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच होर्मुज जलडमरूमध्य एवं लाल सागर जैसे मार्गों के जरिए ट्रेड शिप की आवाजाही प्रभावित होगी। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के अध्यक्ष एससी रल्हन ने बताया कि ग्लोबल ट्रेड की स्थिति में सुधार दिख रही थी, लेकिन ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव ने इसे फिर से प्रभावित कर दिया है।

50 फीसदी बढ़ जाएगी माल ढुलाई की लागत
वहीं, मुंबई स्थित एक्सपोर्टर्स एवं टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के संस्थापक अध्यक्ष एके सराफ ने बताया कि मालवाहक जहाज धीरे-धीरे लाल सागर के मार्गों पर लौट आए हैं। इस मार्ग की वजह से भारत और एशिया के अन्य हिस्सों से अमेरिका एवं यूरोप जाने में 15-20 दिन बच जाता है। अब इस युद्ध के कारण ये जहाज फिर से लाल साग मार्ग के इस्तेमाल से बचेंगे। एके सराफ ने बताया कि अगर ईरान और इजरायल के बीच यह युद्ध एक सप्ताह से अधिक समय तक जारी रहा, तो माल ढुलाई की लागत तकरीबन 50 प्रतिशत बढ़ जाएगी, जिसका बोझ व्यापारियों पर पड़ेगा। इसके अलावा भारत के व्यापार पर भी इसका खासा असर पड़ेगा, क्योंकि दोनों देश हमारे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। साथ ही ग्लोबल ट्रेड के लिए स्थित बेहद खराब हो जाएगी।

कच्चे तेल की कीमतों पर सबसे ज्यादा असर
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय ने बताया कि अब सब कुछ इस बार पर निर्भर करता है कि संघर्ष स्थानीय स्तर तक ही सीमित रहेगा या अन्य देश भी इसमें शामिल होंगे। सबसे ज्यादा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा। वहीं, विश्लेषकों का कहना है कि अगर ईरान-इस्राइल तनाव बढ़ता है, तो सबसे खराब स्थिति में कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं, जो वर्तमान स्तर से 103 फीसदी अधिक है।

एक नज़र