देश में 24 जून तक मानसून की बारिश सामान्य से 4% अधिक

नई दिल्ली। 24 जून तक, देश में मानसून की बारिश (Monsoon rain) दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) से 4.0 प्रतिशत अधिक है। यह बारिश के मौसम की सकारात्मक शुरुआत का संकेत है। आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी एक शोध में यह बात कही है। शोध के अनुसार, वर्षा में इस मामूली वृद्धि से उन राज्यों में खरीफ फसल उत्पादन को लाभ मिलने की उम्मीद है, जहां पर्याप्त बारिश हुई है।
रिसर्च में सीईआईसी और आईएमडी के आंकड़ों का हवाला देकर बताया गया है कि राजस्थान (एलपीए से 135 प्रतिशत अधिक) और गुजरात (एलपीए से 134 प्रतिशत अधिक) में प्रमुख खरीफ राज्यों में सबसे अधिक अतिरिक्त बारिश हुई है। अन्य प्रमुख खरीफ फसल उत्पादक राज्य जैसे मध्य प्रदेश (एलपीए से 28 प्रतिशत अधिक), उत्तर प्रदेश (19 प्रतिशत), तमिलनाडु (15 प्रतिशत), कर्नाटक (10 प्रतिशत), हरियाणा (11 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (7 प्रतिशत) में भी मौसमी औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। पंजाब में एलपीए के बराबर वर्षा हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार इस व्यापक और समय पर हुई बारिश से बुवाई और फसल वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जिससे समग्र कृषि उत्पादन में सुधार होगा। हालांकि, सभी क्षेत्रों में बारिश अच्छी हुई, ऐसा नहीं है। तेलंगाना (एलपीए से 43 फीसदी कम), छत्तीसगढ़ (एलपीए से 36 फीसदी कम), आंध्र प्रदेश (एलपीए से 34 फीसदी कम) और बिहार (एलपीए से 20 फीसदी कम) जैसे राज्य बारिश की कमी का सामना कर रहे हैं। यदि कमी जारी रहती है, तो इससे इन क्षेत्रों में खरीफ की बुवाई और फसल की पैदावार प्रभावित हो सकती है।
कमजोर नोट पर शुरू हुआ मानसून जून के उत्तरार्ध में काफी बेहतर हुआ। संचयी वर्षा अब दीर्घकालिक औसत (एलपीए) के 104 प्रतिशत है, जो कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के जून के लिए 108 प्रतिशत के पूर्वानुमान से थोड़ा कम है। हालांकि, देश भर में वर्षा का वितरण असमान बना हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, भले ही कुछ प्रमुख खरीफ उत्पादक राज्यों में वर्षा एलपीए से कम है, लेकिन अब तक खरीफ की बुवाई 10.4 प्रतिशत (सालाना आधार पर) अधिक है। 109.7 मिलियन हेक्टेयर की सामान्य बुवाई में से 13.8 मिलियन हेक्टेयर बुवाई पहले ही पूरी हो चुकी है। पिछले साल इस अवधि तक 12.5 मिलियन हेक्टेयर बुवाई हुई थी। मुख्य रूप से चावल जैसे प्रमुख फसलों की बुवाई में 57.9 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देखी गई है।
वहीं, दालों की बुवाई में 42.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, वहीं और मोटे अनाज की बुवाई में 22.1 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। हालांकि, तिलहन और जूट और मेस्टा की बुवाई में क्रमशः 2 प्रतिशत और 2.8 प्रतिशत की गिरावट आई है। मानसून की गतिविधि अब भी जारी है। आने वाले हफ्तों में वर्षा वितरण की स्थिति पर देश भर में कृषि पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा यह निर्धारित होगा।