क्या अभी ITR फाइल करने से जल्दी मिलेगा रिफंड? इतने दिन में आता है पैसा

tax-1

नई दिल्ली: असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की प्रक्रिया ने जोर पकड़ लिया है. टैक्सपेयर्स के लिए राहत की बात ये है कि इस बार रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी गई है. इसके बावजूद एक करोड़ से ज्यादा टैक्सपेयर्स अपने रिटर्न पहले ही फाइल कर चुके हैं. कई लोगों को लगता है कि जल्दी रिटर्न फाइल करने से उनका रिफंड जल्दी उनके बैंक खाते में आ जाएगा. लेकिन क्या वाकई ऐसा है? आइए, जानते हैं कि जल्दी ITR फाइल करने के क्या फायदे हैं, रिफंड में कितना समय लगता है और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

जल्दी रिटर्न फाइल करने के कई फायदे
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेडलाइन से पहले ITR फाइल करने के कई फायदे हैं. सबसे बड़ा फायदा ये है कि अगर आपका रिटर्न बिल्कुल सही और पूरा है, तो उसकी प्रोसेसिंग जल्दी हो सकती है. इसका मतलब है कि आपका रिफंड भी जल्दी आपके बैंक खाते में आ सकता है. फिनटेक फर्म वनबैंक के फाउंडर विभोर गोयल बताते हैं, “अगर आप मई या जून में ही रिटर्न फाइल कर देते हैं और सारी डिटेल्स सही हैं, तो 2 से 4 हफ्तों में रिफंड प्रोसेस हो सकता है. लेकिन जो लोग डेडलाइन के आखिरी दिनों में रिटर्न फाइल करते हैं, उनकी प्रोसेसिंग में ज्यादा समय लग सकता है.”

चार्टर्ड अकाउंटेंट नियति शाह के मुताबिक, आयकर विभाग आम तौर पर रिटर्न को उसी क्रम में प्रोसेस करता है, जिस क्रम में वे फाइल किए जाते हैं. यानी, जितनी जल्दी आप रिटर्न फाइल करेंगे, उतनी जल्दी उसकी प्रोसेसिंग शुरू होगी. साथ ही, अगर रिटर्न में कोई गड़बड़ हुई या विभाग की तरफ से नोटिस आया, तो आपके पास उसका जवाब देने के लिए पर्याप्त समय होगा.

जल्दी फाइल करने से रिफंड कितने दिन में मिलता है?
आयकर विभाग ने रिफंड प्रक्रिया को तेज करने के लिए ऑटोमेशन और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया है. अगर आपका रिटर्न सही है और समय पर ई-वेरिफाई हो जाता है, तो औसतन 10 से 20 दिन में रिफंड आपके खाते में आ सकता है. कुछ मामलों में ये 2-4 हफ्तों तक भी खिंच सकता है, खासकर अगर रिटर्न की संख्या ज्यादा हो. लेकिन अगर आप डेडलाइन के करीब रिटर्न फाइल करते हैं, तो प्रोसेसिंग में ज्यादा समय लग सकता है, क्योंकि उस वक्त विभाग पर काम का बोझ बढ़ जाता है.

रिटर्न में गलती हुई तो जल्दी फाइलिंग का फायदा नहीं
जल्दी रिटर्न फाइल करना तभी फायदेमंद है, जब आपकी डिटेल्स बिल्कुल सही हों. टैक्स एक्सपर्ट विभोर गोयल कहते हैं, “अगर आपके रिटर्न में कोई गलती पाई जाती है, जैसे फॉर्म 26AS में दिखने वाली 1,200 रुपये की ब्याज आय को आपने रिटर्न में शामिल नहीं किया, तो आयकर विभाग आपका रिटर्न रिव्यू के लिए चुन सकता है. इससे रिफंड में 60-90 दिन की देरी हो सकती है.” इसलिए, रिटर्न फाइल करने से पहले फॉर्म 26AS, AIS (एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट) और अपनी आय की सारी डिटेल्स अच्छे से मिलान कर लें.

ई-वेरिफिकेशन के बाद ही मिलता है रिफंड
चार्टर्ड अकाउंटेंट शंकर कुमार के अनुसार, आयकर विभाग ITR के ई-वेरिफिकेशन के बाद ही रिफंड की प्रक्रिया शुरू करता है. अगर आपने रिटर्न फाइल किया, लेकिन उसे आधार OTP, नेट बैंकिंग या डिजिटल सिग्नेचर से वेरिफाई नहीं किया, तो प्रोसेसिंग शुरू नहीं होगी. इसके अलावा, रिटर्न की प्रोसेसिंग का समय हर टैक्सपेयर के लिए अलग-अलग हो सकता है. अगर आपके रिटर्न में कोई डेटा मेल नहीं खाता, जैसे TDS या आय की जानकारी में अंतर, तो विभाग नोटिस भेज सकता है. ऐसे में जल्दी रिटर्न फाइल करने का फायदा ये है कि आपके पास नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय होगा.

रिफंड में देरी से बचने के लिए क्या करें?
जल्दी फाइल करें: मई, जून या जुलाई में रिटर्न फाइल करें, ताकि प्रोसेसिंग जल्दी शुरू हो.
ई-वेरिफिकेशन तुरंत करें: रिटर्न फाइल करने के बाद उसे तुरंत वेरिफाई करें. इसके लिए आधार OTP या नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करें.
डिटेल्स चेक करें: फॉर्म 26AS और AIS से अपनी आय और TDS की जानकारी मिलान करें.
बैंक डिटेल्स सही रखें: सुनिश्चित करें कि अकाउंट नंबर और IFSC कोड सही हैं.
नोटिस का जवाब दें: अगर आयकर विभाग कोई नोटिस भेजता है, तो उसका तुरंत जवाब दें.
रिफंड देरी होने पर मिलेगा ब्याज
अगर आपका रिफंड 30 दिन से ज्यादा लेट होता है, तो आयकर विभाग को 6% सालाना की दर से ब्याज देना होगा. ये ब्याज तब तक मिलता है, जब तक रिफंड आपके खाते में नहीं आ जाता. अगर आपको लगता है कि रिफंड में बेवजह देरी हो रही है, तो आप आयकर विभाग की ई-निवारण प्रणाली में शिकायत दर्ज कर सकते हैं. आप www.incometax.gov.in पर जाकर अपने रिफंड की स्थिति भी चेक कर सकते हैं. अगर सारी कोशिशें फेल हो जाएं, तो आप हाई कोर्ट में रिट पेटिशन दायर कर सकते हैं.