कहीं आप तो नहीं? फिजूलखर्ची में भारतीय अन्य देशों से आगे; उधार लेकर शॉपिंग कर रहे Gen-Z

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Gen-Z Expense Pattern: नवरात्रि के साथ ही देश में त्योहारी सीजन की शुरुआत हो गई है। इस दौरान खरीदारी के नाम पर फिजूलखर्ची में भारतीय सबसे आगे हैं। इसमें भी जेन-जी दूसरी पीढ़ियों के मुकाबले ज्यादा फिजूलखर्ची करती है। यह पीढ़ी उधार लेकर खरीदारी करने में भी पीछे नहीं हटती। एक अमेरिकी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। अमेरिकी कंसल्टिंग कंपनी मैकिन्से की रिपोर्ट के अनुसार, जेन-जी अन्य पीढ़ियों के मुकाबले ज्यादा फिजूलखर्ची करती है। ये युवा पैसा नहीं होने पर ‘बाय नाउ, पे लेटर’ (BNPL) सर्विस का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरी पीढ़ियों के मुकाबले जेन-जी का उधार पर खरीदारी 13 प्रतिशत अधिक है।

ब्रांड को सबसे ज्यादा तरजीह दे रहे जेन-जी
रिपोर्ट के मुताबिक, जेन-जी खरीदार सबसे ज्यादा वैल्यू ब्रांड को देते हैं। इस पीढ़ी के 34 प्रतिशत लोगों ने कपड़ों और कॉस्मेटिक पर 29 प्रतिशत खर्च किया है। यह कंज्यूमर ई-कॉमर्स से शॉपिंग करना पसंद कर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑस्ट्रेलिया के कंज्यूमर खरीदारी में समझदारी दिखाते हैं। ऑस्ट्रेलिया के लगभग 60 फीसदी खरीदार मानते है कि वे महंगाई को लेचर चिंतति है, उनमें से 16 प्रतिशत ही फिजूलखर्ची करते हैं।

भारत में 40% लोग महंगाई को लेकर चिंतित
इसी तरह चीन में 43 फीसदी उपभोक्ता महंगाई को लेकर चिंता जताते हैं, पर उनमें 27 फीसदी फिजूलखर्ची के लिए तैयार रहते हैं। वहीं, 16 फीसदी खरीदारी करने में सावधानी बरतते हैं। यूएई में महंगाई से चिंतित 44 में से 30 फीसदी फिजूलखर्ची करते हैं। सर्वे में जानकारी मिली है कि भारत में 40 प्रतिशत लोग महंगाई को लेकर चिंतित हैं। लेकिन 31 फीसदी कंज्यूमर फिजूलखर्ची की योजना तैयार रखतें हैं। सिर्फ नौ फीसदी उपभोक्ता ही फिजूलखर्ची से बचने की कोशिश करते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
कंज्यूमर मामलों की जानकारी रखने वाली शीतल कपूर का कहना है कि युवा पीढ़ी पैसा सेविंग करने के बजाय खर्च करने में ज्यादा यकीन करती है। वे अच्छी जिंदगी जीना चाहते हैं, इसलिए वे लाइफस्टाइल को लेकर फिजूलखर्ची में पीछे नहीं हटते हैं।

जेन-जी पीढ़ी किसे कहते हैं?
जेन-जी उस पीढ़ी को कहा जाता है, जो लगभग 1997 से 2012/2015 के बीच पैदा हुई है। यानी आज से समय में इनकी उम्र 10 से 28 साल के बीच मानी जाती है। ये डिजिटल युग में पैदा हुए हैं, इसलिए इन्हें डिजिटल नैटिव्स भी कहा जाता है। इंटरने, स्मार्टफोन, सोशल मीडिया, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, गेमिंग और एआई इनकी जिंदगी का अहम हिस्सा है। ये पिछली पीढ़ियों (जैसे मिलेनियल्स) की तुलना में ज्यादा टेक-सेवी, तेज-तर्रार और दुनिया से जुड़े हुए हैं।