रूस की रहस्यमयी ‘साध्वी’ और गोकर्ण के जंगलों में बनी गुफा… 8 आठ साल तक सांपों के बीच रही, बेटियों को वहीं दिया जन्म

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नई दिल्ली: गोकर्ण की पहाड़ियों में स्थित एक रहस्यमयी गुफा से हाल ही में पुलिस ने एक ऐसी विदेशी महिला को बरामद किया, जिसने पिछले कई साल जंगल में बिताए – वो भी अपनी दो नन्ही बेटियों के साथ. रूसी मूल की यह महिला न सिर्फ गुफा में रह रही थी, बल्कि उसने वहीं बेटियों को जन्म दिया, उन्हें योग, ध्यान और आध्यात्मिक जीवन की शिक्षा दी. जंगल उसका घर था, सांप उसके दोस्त, और साधना उसका जीवन.

पुलिस भी तब चौंक गई जब गुफा में रुद्र मूर्ति, रूसी धार्मिक पुस्तकें और बच्चों के सामान के साथ यह ‘जंगल की साध्वी’ मिली. आखिर कौन है ये महिला? क्यों उसने दुनिया से कटकर जंगल को चुना? और गोकर्ण की इस गुफा में ऐसा क्या है जो उसने उसे वर्षों तक अपना ठिकाना बना लिया? आइए जानते हैं ये रहस्य से भरी कहानी.

उत्तर कन्नड़ जिले के शांत, हरे-भरे जंगलों में छिपी हुई एक गुफा. समुद्र से 500 मीटर ऊपर रामतीर्थ पहाड़ी की तलहटी में यह गुफा एक अनोखी और रहस्यमयी कहानी का केंद्र बन चुकी है. यहां हाल ही में पुलिस को एक रशियन महिला और उसकी दो नन्ही बेटियां मिलीं.

40 वर्षीय नीना कुटीना उर्फ़ मोही साल 2016 में बिजनेस वीज़ा पर भारत आई थीं. उनका वीज़ा 2017 में समाप्त हो गया. इसके बाद उन्होंने देश छोड़ने के बजाय प्रकृति की शरण ली. नीना ने जंगल को अपना घर बना लिया. उन्होंने गोकर्ण के पास एक गुफा को अपना स्थायी निवास बना लिया, जहां वे बीते कई साल से रह रही थीं. उनके साथ थीं दो बेटियां- 6 साल की प्रेया और 4 साल की अमा. इन दोनों बच्चियों ने अस्पताल की साफ़-सुथरी चारदीवारियों में नहीं, बल्कि मिट्टी, चट्टानों और पक्षियों की चहचहाहट के बीच जंगल में जन्म लिया.

नीना न तो किसी अस्पताल गईं, न डॉक्टर से मिलीं. उन्होंने बेटियों को अपनी देखरेख में जन्म दिया और पाला. उन्हें योग, ध्यान, चित्रकला और आध्यात्मिकता की शिक्षा दी. नीना के अनुसार, यह जीवन किसी तपस्या से कम नहीं था. वे तीनों प्लास्टिक शीट पर सोते थे, सूर्य की रोशनी में उठते, और चंद्रमा की चांदनी में ध्यान करते. राशन की बात करें तो उनका मुख्य आहार इंस्टेंट नूडल्स, कुछ पैक्ड फूड और आसपास के जंगलों से मिलने वाले फल, पत्ते, फूल और जड़ी-बूटियां थीं. नीना कहती हैं कि सांप उनके दोस्त हैं और वे तब तक नुकसान नहीं पहुंचाते जब तक उन्हें छेड़ा न जाए.

9 जुलाई को पुलिस की एक रूटीन गश्त के दौरान उन्हें गुफा के बाहर कुछ साड़ियां और प्लास्टिक कवर लटके दिखे. इससे संदेह हुआ. जब टीम गुफा के पास पहुंची, तो अचानक एक छोटी विदेशी बच्ची दौड़ती हुई बाहर निकली. पुलिस टीम ने जब अंदर जाकर देखा तो गुफा में एक साधारण घर बना हुआ था. वहां रूसी किताबें, रुद्र की मूर्ति, हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें और ध्यान-साधना के चिह्न दिखाई दिए.

बेहद खतरनाक है ये इलाका

पुलिस अधीक्षक एम नारायण के अनुसार, यह इलाका बेहद खतरनाक है. पिछले साल यहीं भूस्खलन हुआ था और सांपों की भी भरमार है. इसके बावजूद नीना और उनकी बेटियां सुरक्षित थीं. जब अधिकारियों ने उन्हें वहां से निकलने के लिए कहा, तो उन्होंने पहले संकोच किया. बाद में धीरे-धीरे उन्हें यह समझाया गया कि वहां रहना जानलेवा हो सकता है. नीना साल 2018 में वह नेपाल जाने की अनुमति लेकर गई थीं, लेकिन कुछ महीनों बाद भारत लौट आईं और वीजा समाप्त होने के बाद जंगल में रहने लगीं.

पुलिस ने जांच के दौरान नीना का पासपोर्ट और समाप्त हो चुका वीज़ा बरामद किया. अब उनके और उनकी बेटियों के रूस प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. फिलहाल तीनों को कुमटा तालुका के एक आश्रम में रखा गया है, जहां बुजुर्ग स्वामीजी उनकी देखरेख कर रहे हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले इंस्पेक्टर श्रीधर ने बताया कि इस महिला का जंगल में इतने समय तक जिंदा रहना और दो मासूमों की परवरिश करना चमत्कारी लगता है. जांच में सामने आया है कि वे लोग दो हफ्ते से उसी गुफा में रह रहे थे, लेकिन कितने समय से गोकर्ण के जंगलों में हैं, यह अब तक स्पष्ट नहीं है.

गोकर्ण की गुफाएं

पुलिस को नीना के पास से इंस्टेंट नूडल्स के पैकेट, सलाद का सामान और लकड़ी से जलता चूल्हा मिला. जब नीना से पूछा गया कि उन्होंने ऐसा जीवन क्यों चुना तो उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण में श्रद्धा है, ध्यान और तपस्या के लिए आई थी. वे गुफा में साधना कर रही थीं. पुलिस ने उन्हें मूर्ति पूजा करते देखा.

अब स्थानीय NGO की मदद से रूसी दूतावास से संपर्क किया जा चुका है और सभी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. गोकर्ण की गुफाएं, विशेष रूप से वह गुफा जहां नीना रह रही थीं, वहां एक छोटा शिवलिंग स्थित है. यहां चमगादड़ रहते हैं, इस गहरी गुफा को ‘गौ गर्भ’ नाम से भी जाना जाता है.