Lunar Lander 5: चांद पर इतिहास रचने के करीब पहुंचा देश, जानें- कितना खास है यह मिशन

नई दिल्ली । हर बार अपनी तकनीक(Technology) से दुनिया को चौंकाने (astonishes the world)वाला जापान इतिहास (history)रचने की दहलीज पर है। उसकी प्राइवेट स्पेस कंपनी (ispace)इस हफ्ते चांद पर ऐतिहासिक कदम रखने जा रही है। कंपनी का ‘Resilience’ लूनर लैंडर 5 जून को रात 12:54 बजे (भारतीय समयानुसार) चांद की सतह पर ‘Sea of Cold’ नामक इलाके में सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा।
चांद पर लैंडिंग करते ही जापान रच लेगा इतिहास
इस प्रयास को ispace के यूट्यूब चैनल पर लाइव देखा जा सकता है। लाइव स्ट्रीम लैंडिंग से एक घंटे पहले शुरू होगी। अगर यह मिशन सफल होता है, तो यह जापान के लिए दूसरी सफल चंद्र लैंडिंग होगी। इससे पहले जापान की सरकारी एजेंसी JAXA का SLIM लैंडर पिछले साल सफलतापूर्वक चांद पर उतरा था। अगर यह मिशन कामयाब हो जाता है तो जापान इतिहास रच देगा, क्योंकि अभी तक किसी देश की प्राइवेट स्पेस एजेंसी का लूनर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया है।
दो साल पहले असफल प्रयास
Resilience ispace का दूसरा लैंडर है। इससे पहले 2023 में पहला प्रयास लैंडिंग के दौरान विफल हो गया था। इस बार अगर सबकुछ ठीक रहा, तो यह लैंडर चांद की सतह पर ‘Tenacious’ नामक एक छोटा रोवर और कुछ वैज्ञानिक उपकरण तैनात करेगा।
क्या है चांद का Sea of Cold

Sea of Cold को वैज्ञानिक रूप से Mare Frigoris कहा जाता है। यह चंद्रमा के उत्तरी हिस्से में स्थित एक समतल और गहरे रंग का क्षेत्र है। यह एक प्राचीन ज्वालामुखीय मैदान है जो ठोस लावा से बना है और अरबों साल पुराना है। Mare Frigoris का अर्थ है “ठंड का समुद्र” और जापान की प्राइवेट स्पेस एजेंसी द्वारा इसका चयन इसलिए किया गया है क्योंकि इसकी सतह अपेक्षाकृत समतल है, जिससे चंद्र मिशनों की सुरक्षित लैंडिंग संभव हो पाती है। यही वजह है कि जापानी कंपनी ispace का ‘Resilience’ लैंडर इसी जगह पर उतरने की कोशिश कर रहा है।
15 जनवरी को भरी थी उड़ान
Resilience ने 15 जनवरी को SpaceX के Falcon 9 रॉकेट से उड़ान भरी थी। यह मिशन 6 मई को चंद्र कक्षा में पहुंचा और 28 मई को एक अहम ऑर्बिटल मैन्युवर के जरिए चांद की सतह से लगभग 100 किलोमीटर ऊपर एक स्थिर कक्षा में आ गया।
5 जून को लैंडिंग के लिए तैयार
लैंडिंग से पहले Resilience ने चंद्रमा की खूबसूरत तस्वीरें भी भेजी हैं, जिनमें चांद की गड्ढेदार और जटिल सतह दिखाई दे रही है। यह लैंडर हर दो घंटे में चांद की एक परिक्रमा कर रहा है और 5 जून की लैंडिंग के लिए पूरी तरह तैयार है।