कम लागत, जबरदस्त कमाई: सिर्फ ₹5000 में शुरू करें कद्दू की खेती, लाखों की होगी आमदनी!

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उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान तेजी से कद्दू की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उद्यान विभाग और कृषि विभाग मिलकर किसानों को उन्नत खेती के लिए जागरूक कर रहे हैं। समय-समय पर किसान चौपाल लगाकर उन्हें मुनाफे वाली अगेती सब्जियों की जानकारी दी जा रही है, जिसमें कद्दू की खेती सबसे अधिक लाभ देने वाली साबित हो रही है।

कद्दू: कम लागत, ज्यादा मुनाफा

हरदोई के जिला उद्यान अधिकारी सुभाष चंद्र के अनुसार, जिले की पांचों तहसीलों में किसान कद्दू की खेती को लेकर उत्साहित हैं, क्योंकि बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल रही है। कद्दू की खेती में खास बात यह है कि इसमें सिर्फ ₹5000 प्रति एकड़ की लागत आती है और एक एकड़ में करीब 100 क्विंटल तक पैदावार होती है। पहली ही तुड़ाई में किसान अपनी लागत निकाल लेते हैं और बाकी फसल पूरी तरह से मुनाफा देती है।

बीज बोने का समय सर्दियों के अंत यानी दिसंबर से फरवरी के बीच होता है। पौधों की सही देखरेख से खेत हरे-भरे हो जाते हैं और पौधों पर खूब फल लगते हैं।

लाखों कमाने का मौका

किसान चंद्र भूषण बताते हैं कि कद्दू की अच्छी फसल के लिए उपजाऊ मिट्टी, अच्छी जल निकासी और सही मौसम का होना जरूरी है। बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत की गहरी जुताई, गोबर व गोमूत्र का प्रयोग, और खरपतवार नियंत्रण से फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है।

उच्च उत्पादकता वाली किस्में जैसे काशी हरित और पूसा विश्वास काफी लोकप्रिय हैं। बीज बोने के 5–10 दिन में अंकुरण शुरू हो जाता है और करीब 90 दिनों में फसल बिक्री के लिए तैयार हो जाती है। पौधों के बीच 2 फीट की दूरी और ड्रिप सिंचाई विधि से पानी व पोषक तत्वों की सही आपूर्ति संभव होती है।

एक एकड़ से कितना मिलेगा लाभ?

हरदोई के किसान शैलेंद्र के अनुसार, एक एकड़ में यदि 100 क्विंटल तक कद्दू होता है और बाजार में इसका औसत मूल्य ₹10–₹15 प्रति किलो है, तो एक एकड़ से ₹1 लाख से ₹1.5 लाख तक की कमाई हो सकती है। यदि देखरेख बेहतर हो तो पैदावार और मुनाफा दोनों और बढ़ सकते हैं।

कद्दू: स्वास्थ्य और धार्मिक दृष्टि से भी खास

कद्दू की गिनती उन सब्जियों में होती है जो जल्दी खराब नहीं होतीं। पका हुआ और हरा दोनों ही कद्दू बाजार में अच्छे दाम पर बिकते हैं। यह न सिर्फ सुपाच्य और गुणकारी होता है, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी इसका महत्व है—इसे सीताफल, कुम्हड़ा आदि नामों से जाना जाता है।