इजरायली सेना ने गाजा जा रही राहत नौकाएं रोकीं, ग्रेटा थनबर्ग समेत सैकड़ों एक्टिविस्ट हिरासत में

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तेल अवीव: गाजा पट्टी की नाकाबंदी को तोड़ने की कोशिश कर रहे वैश्विक मानवाधिकार अभियान ‘ग्लोबल सुमूद फ्लोटिला’ को इजरायली सेना ने बुधवार को भूमध्य सागर में रोक दिया। राहत सामग्री और सैकड़ों नागरिकों से भरी इन नौकाओं को जबरन इजरायल के एक बंदरगाह पर ले जाया गया। इस कार्रवाई ने उस शांतिपूर्ण विरोध को बीच में रोक दिया, जिसने बीते दिनों पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था।

अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, इजरायली विदेश मंत्रालय द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को नौका के डेक पर बैठे देखा गया, जिनके चारों ओर इजरायली सैनिक तैनात थे। वीडियो में वह शांत नजर आ रही थीं, जबकि अन्य यात्रियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही थी।

इजरायली विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व ट्विटर) पर बयान जारी कर कहा, “हमास-सुमूद फ्लोटिला की कई नौकाओं को सुरक्षित रूप से रोका गया है और उनके यात्रियों को इजरायल के बंदरगाह पर लाया जा रहा है। ग्रेटा और उनके साथी सुरक्षित और स्वस्थ हैं।”

Israeli forces block relief boats heading to Gaza, detain Greta Thunberg and hundreds of activists : इस अभियान में 40 से अधिक नौकाएं शामिल थीं, जिनमें लगभग 500 लोग सवार थे — इनमें सांसद, वकील, डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। यात्रियों का दावा है कि उनका मिशन पूरी तरह से अहिंसक और मानवीय था। फ्लोटिला की ओर से टेलीग्राम पर साझा किए गए वीडियो में कई यात्रियों को अपने पासपोर्ट दिखाते हुए यह कहते देखा गया कि उन्हें जबरन इजरायल ले जाया गया, जबकि वे सिर्फ दवाइयां और खाना गाजा तक पहुंचाना चाहते थे।

फ्लोटिला भूमध्य सागर के रास्ते आगे बढ़ रहा था और जैसे-जैसे यह गाजा के करीब पहुंचा, दुनिया की निगाहें इस पर टिक गईं। तुर्की, स्पेन और इटली जैसे देशों ने न केवल अपनी नौकाएं बल्कि निगरानी ड्रोन भी भेजे, ताकि जरूरत पड़ने पर अपने नागरिकों की मदद की जा सके। इसके बावजूद, इजरायल ने पहले ही स्पष्ट चेतावनी जारी कर दी थी कि यदि ये नावें लौटती नहीं हैं, तो उन्हें रोका जाएगा।

इजरायली कार्रवाई पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया तुर्की से आई है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इसे ‘हमला’ और ‘आतंकी कृत्य’ बताया। तुर्की ने कहा कि यह कार्रवाई निर्दोष नागरिकों की जान को खतरे में डालने वाली है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

इस कार्रवाई के बाद यूरोप के कई हिस्सों में विरोध शुरू हो गया है। इटली के विभिन्न शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर इजरायल के खिलाफ नारेबाजी की और फ्लोटिला में शामिल लोगों की रिहाई की मांग की। कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे मानवीय प्रयासों पर हमला करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग की है।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर गाजा की नाकाबंदी और वहां हो रही मानवीय त्रासदी को वैश्विक मंच पर केंद्र में ला दिया है। अब यह देखना अहम होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर किस तरह प्रतिक्रिया देता है और क्या यह घटना गाजा संकट को एक नया मोड़ दे सकती है।