भारत दुनिया के सबसे बड़े, सबसे विविध और समावेशी लोकतंत्रों में से एक: सीईसी ज्ञानेश कुमार
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने बुधवार को वर्ष 2026 के लिए अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव सहायता संस्थान (अंतर्राष्ट्रीय आईडीईए) के सदस्य राष्ट्रों की परिषद की अध्यक्षता संभाली। स्टॉकहोम में आयोजित एक समारोह में उनका स्वागत स्वीडन में भारत के राजदूत अनुराग भूषण ने किया। इसके बाद उन्होंने आईडीईए के महासचिव डॉ. केविन कैसास-जमोरा से मुलाकात कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
यह अध्यक्षता भारत में संगठन के एक संस्थापक सदस्य के रूप में उस पर जताए गए विश्वास का प्रतीक है
चुनाव आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह अध्यक्षता भारत में संगठन के एक संस्थापक सदस्य के रूप में उस पर जताए गए विश्वास का प्रतीक है। भारत ने सदस्य देशों में लोकतांत्रिक सुधारों और संस्थागत सुदृढ़ीकरण की दिशा में लगातार महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कार्यक्रम के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विशालता और विविधता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देश के 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 90 करोड़ से अधिक पात्र मतदाता हैं।
2024 के आम चुनाव में 2 करोड़ से अधिक कर्मियों ने लिया भाग
उन्होंने 2024 के आम चुनाव का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें 743 राजनीतिक दलों के 20,000 से अधिक उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया, जिनमें छह राष्ट्रीय और 67 राज्यस्तरीय दल शामिल थे। चुनावों के संचालन में 2 करोड़ से अधिक कर्मियों ने भाग लिया, जिनमें एक लाख बूथ-स्तरीय अधिकारी और पांच लाख मतदान कर्मचारी भी शामिल थे।

भारत न केवल दुनिया के सबसे बड़े, बल्कि सबसे विविध और समावेशी आधुनिक लोकतंत्रों में से एक है
सीईसी ने बताया कि 1947 में स्वतंत्रता के बाद से भारत में 18 संसदीय आम चुनाव और 400 से अधिक राज्य विधानसभाओं के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत न केवल दुनिया के सबसे बड़े, बल्कि सबसे विविध और समावेशी आधुनिक लोकतंत्रों में से एक है। साथ ही, भारत अपनी सभ्यतागत विरासत में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों को विश्व के साथ साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत की प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए ज्ञानेश कुमार कहा कि यह कार्यकाल निर्णायक, महत्वाकांक्षी और कार्य-केन्द्रित होगा
अंतर्राष्ट्रीय आईडीईए परिषद की अध्यक्षता के लिए भारत की प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह कार्यकाल निर्णायक, महत्वाकांक्षी और कार्य-केन्द्रित होगा। इसका व्यापक विषय रहेगा- एक समावेशी, शांतिपूर्ण, लचीले और टिकाऊ विश्व के लिए लोकतंत्र। भारत इस दौरान दो प्रमुख स्तंभों पर फोकस करेगा- भविष्य के लिए लोकतंत्र की पुनर्कल्पना और टिकाऊ लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र एवं पेशेवर चुनाव प्रबंधन निकायों का सुदृढ़ीकरण।

