गर्मियों में ठंडक का रामबाण इलाज है मुलेठी, दिमाग से लेकर दिल तक पहुंचाती है फायदे

3869idea99mulathi_650_021115111408

नई दिल्ली: चिलचिलाती गर्मी में जब तेज धूप, लू और पसीना बेहाल कर देते हैं, तब एक घरेलू नुस्खा राहत का काम करता है — मुलेठी। सदियों से भारतीय रसोईघर और आयुर्वेद का हिस्सा रही यह जड़ी-बूटी न केवल शरीर को ठंडा रखती है, बल्कि दिमाग को भी शांत करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मियों में मुलेठी का सेवन शरीर की गर्मी को संतुलित करने के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

आयुर्वेदाचार्य भी मानते हैं मुलेठी के फायदे

पंजाब के ‘बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल’ के डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी बताते हैं कि जिन लोगों को गर्मी अधिक लगती है या जिन्हें लू जल्दी लग जाती है, उनके लिए मुलेठी एक बेहतरीन उपाय है। मुलेठी का काढ़ा या पाउडर शरीर की आंतरिक गर्मी को कम करने में मदद करता है और पेट को भी ठंडक देता है।

डॉ. तिवारी के अनुसार,

“मुलेठी का सेवन पेट की जलन, गैस, अपच, कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देता है। इसकी ठंडी तासीर पाचन तंत्र को दुरुस्त करती है और दिमाग को भी शांत रखती है।”

कैंसर तक के इलाज में फायदेमंद

हांगकांग बैपटिस्ट यूनिवर्सिटी के एक शोध में यह सामने आया है कि मुलेठी में मौजूद आइसोलिक्युरिटिजेनिन नामक तत्व अग्नाशय (पैंक्रियाज) के कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों के लक्षणों को दबाने में कारगर है। यह रिसर्च मुलेठी की औषधीय उपयोगिता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साबित करता है।

दिल को मजबूत बनाती है यह जड़ी-बूटी

मुलेठी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और प्रोटीन हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और सूजन को कम करते हैं। इससे हार्ट ब्लॉकेज और हार्ट अटैक का खतरा घटता है
डॉ. तिवारी बताते हैं कि

“दिल के मरीजों को रोजाना 3-5 ग्राम मुलेठी पाउडर को 15-20 ग्राम मिश्री के साथ पानी में मिलाकर लेना चाहिए। यह हृदय की सेहत सुधारता है और रक्त प्रवाह को बेहतर करता है।”

सर्दी-खांसी और गले की तकलीफ में रामबाण

मुलेठी का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से गले की खराश, गला बैठने और मुंह के छालों में भी किया जाता है। पुरानी से पुरानी खांसी भी इसके रस से ठीक हो सकती है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गले की सूजन और संक्रमण को तेजी से कम करते हैं।

ध्यान रखें ये बातें

हालांकि इसके फायदे अनेक हैं, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिए, खासकर गर्भवती महिलाओं को। आयुर्वेदाचार्यों की सलाह के अनुसार ही इसकी मात्रा और सेवन का तरीका तय करें।