GST Day: कारोबार को आसान बनाने पर होगा जीएसटी का फोकस, जानें वित्त मंत्रालय ने और क्या कहा

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नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का फोकस अब कारोबार को आसान बनाने, मजबूत अनुपालन सुनिश्चित करने और व्यापक आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देने पर होगा। वित्त मंत्रालय ने जीएसटी दिवस के मौके पर मंगलवार को यह बात कही। जीएसटी ने 1 जुलाई 2025 को आठ साल पूरे कर लिए हैं। पीटीआई की खबर के मुताबिक, 1 जुलाई, 2017 से लागू किए गए जीएसटी ने 17 टैक्स और 13 सरचार्ज को एकीकृत किया है। इससे अनुपालन को आसान बनाकर और टैक्स सिस्टम्स को डिजिटल बनाकर एक निर्बाध राष्ट्रीय बाजार का निर्माण हुआ है।

सकल जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड लेवल पर
खबर के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने ‘जीएसटी का 8 साल का रिपोर्ट कार्ड’ जारी करते हुए कहा कि जीएसटी अपने 9वें साल में प्रवेश कर रहा है। यह भारत की आर्थिक प्रगति के चालक के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, ऑपरेशन के पहले वर्ष (9 महीने) में सकल जीएसटी संग्रह 7.40 लाख करोड़ रुपये था। पिछले कुछ सालों में इसमें तेजी से ग्रोथ देखी गई है। वित्त वर्ष 2024-25 में सकल जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो साल-दर-साल 9.4 प्रतिशत की ग्रोथ दर्शाता है।

जीएसटी रेवेन्यू कितना बढ़ा?
सालाना जीएसटी रेवेन्यू करीब तीन गुना हो गया, जो वित्त वर्ष 2017-18 में 7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 22 लाख करोड़ रुपये हो गया। लगातार डबल डिजिट्स की बढ़ोतरी न सिर्फ एक मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत देती है, बल्कि बेहतर अनुपालन, कम लीकेज और कम करदाता बोझ द्वारा चिह्नित एक परिपक्व, तकनीक-संचालित टैक्स ईकोसिस्टम का संकेत देती है। बढ़ते कलेक्शन बेहतर प्रवर्तन और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) कंट्रोल को दर्शाते हैं।

मई 2025 तक 162 करोड़ से अधिक जीएसटी रिटर्न हुए फाइल
मंत्रालय ने कहा कि भारत का जीएसटी कलेक्शन अप्रैल 2025 में 2.37 लाख करोड़ रुपये के अब तक के टॉप लेवल पर पहुंच गया। आंकड़ों में बताया गया है कि मई 2025 तक 162 करोड़ से अधिक जीएसटी रिटर्न दाखिल किए जा चुके हैं, जो सिर्फ 8 सालों में एक सुव्यवस्थित, डिजिटल-फर्स्ट टैक्स सिस्टम में पैमाने, अपनाने और बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। जीएसटी ने अप्रत्यक्ष करों को मानकीकृत स्लैब (0 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत) और निर्बाध पंजीकरण, फाइलिंग और भुगतान के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म (जीएसटीएन) के साथ एक सरलीकृत व्यवस्था में एकीकृत किया, जिससे अनुपालन लागत में कटौती हुई और व्यापार करने में आसानी हुई।

मंत्रालय कहा कि 2017 में लॉन्च होने के आठ साल बाद भी जीएसटी भारत के आर्थिक सुधारों की आधारशिला बना हुआ है। एक साझा राष्ट्रीय बाजार को बढ़ावा देकर जीएसटी ने कार्यकुशलता बढ़ाई है, कारोबारी लागत कम की है और टैक्सेशन में पारदर्शिता बढ़ाई है।

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