झुग्गी से रैंप तक: बच्चों की मेहनत से चमका लखनऊ
लखनऊ: सोशल मीडिया पर लाल कपड़ों में सजे-धजे बच्चों के वीडियो छाए हुए हैं। इन बच्चों की आत्मविश्वास से भरी अदाएं और बेहतरीन स्टाइल ने हर किसी का दिल जीत लिया है। लेकिन सबसे खास बात यह है कि ये बच्चे झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले हैं और इनकी पोशाक भी इन्हीं के हाथों से तैयार की गई है।
भवानीगंज का केंद्र: सपनों का आशियाना
लखनऊ के भवानीगंज मोहल्ले की तंग गलियों के आखिर में एक तीन मंजिला मकान स्थित है, जहाँ इनोवेशन फॉर चेंज नामक केंद्र संचालित होता है। इस केंद्र का हर कोना बच्चों की मेहनत और लगन की कहानियों से भरा है। पहली मंजिल पर बच्चे सिलाई में व्यस्त रहते हैं, दूसरी मंजिल पर डांस और एक्टिंग की प्रैक्टिस चलती है, और तीसरी मंजिल पर पढ़ाई और क्रिएटिव वर्कशॉप्स होती हैं।
इस मुहिम को शुरू करने वाले हर्षित सिंह बताते हैं, “हमने 2015-16 में इस समुदाय के साथ काम करना शुरू किया था। शुरुआत में लोगों ने हमारा विरोध किया, लेकिन जब उन्हें समझ आया कि हम उनके बच्चों के लिए ही कुछ अच्छा करने की कोशिश कर रहे हैं, तो उनका सहयोग मिलने लगा।”
सब्यसाची ने साझा किया वीडियो
इन बच्चों ने मशहूर फैशन डिज़ाइनर सब्यसाची मुखर्जी के ब्राइडल कलेक्शन को रीक्रिएट किया। इस शानदार वीडियो ने न केवल लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि खुद सब्यसाची ने इसे अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर साझा किया और बच्चों की क्रिएटिविटी की सराहना की।
इस उपलब्धि के बारे में हर्षित कहते हैं, “आज लोग बच्चों की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन यह कोई एक दिन का काम नहीं है। यह उनकी कई सालों की मेहनत का नतीजा है। हमने बच्चों को सिखाया कि कैसे सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखे जा सकते हैं।”
बच्चों के सपने और संघर्ष
यहाँ पढ़ने वाले बच्चों में से कई के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक या प्राइवेट नौकरी करने वाले हैं। ऐसे ही एक बच्चे की कहानी है राखी की, जो मॉडल बनने का सपना देखती है। राखी कहती है, “मुझे मॉडलिंग बहुत पसंद है। इस वीडियो में मैंने मॉडलिंग की है और अब लोग मुझे पहचानने लगे हैं। मैंने अपने घर पर बता दिया है कि मैं मॉडल बनना चाहती हूँ।”
इसी तरह इशिका, जो मेकअप आर्टिस्ट बनना चाहती है, कहती है, “लोग पहले मजाक उड़ाते थे कि यहाँ सिर्फ डांस और रील बनती हैं। अब वही लोग हमारी तारीफ कर रहे हैं। हमें देखकर सबको लगने लगा है कि हम कुछ अलग कर रहे हैं।”
बच्चों का मैनेजमेंट और आत्मनिर्भरता
इस केंद्र की सबसे खास बात यह है कि यहाँ सभी काम बच्चों द्वारा ही किए जाते हैं। बड़े बच्चे छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं। कपड़ों की सिलाई, वीडियो की शूटिंग, एडिटिंग, यहाँ तक कि मंच सज्जा तक की जिम्मेदारी बच्चे ही निभाते हैं।
रंजना, जो एक फैशन डिज़ाइनर बनना चाहती है, हर दिन नए ड्रेस डिजाइन करती है। वह कहती है, “यह जगह हमारे सपनों को उड़ान देने वाली है। हर दिन मैं कुछ नया बनाती हूँ और सीखती हूँ।”
चुनौतियों का सामना और जीत
हर्षित और उनके साथी विशाल कन्नौजिया को इस सफर में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। समुदाय और बच्चों के माता-पिता का भरोसा जीतने में उन्हें समय लगा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बच्चों को हर दिन कुछ नया सिखाने की कोशिश जारी रखी।
इस केंद्र में पढ़ने वाले बच्चे न केवल हुनर सीख रहे हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं। गीता के श्लोकों को याद करना, सामूहिक खाना पकाना, और एक-दूसरे का सहारा बनना यहाँ की जीवनशैली का हिस्सा है।
भविष्य की ओर कदम
इनोवेशन फॉर चेंज न केवल बच्चों को हुनर सिखा रहा है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास भी दे रहा है। हर्षित कहते हैं, “हम चाहते हैं कि बच्चे बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने की हिम्मत जुटाएं। हमारा सपना है कि ये बच्चे एक दिन समाज के लिए प्रेरणा बनें।”
यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि सही दिशा और मार्गदर्शन मिलने पर किसी भी परिस्थिति में छिपा हुआ टैलेंट उभर सकता है। भवानीगंज के ये बच्चे आज इंटरनेट पर छाए हुए हैं और उनकी यह सफलता हमें यह सिखाती है कि मेहनत और लगन के साथ कुछ भी असंभव नहीं।