रक्षा मंत्रालय ने 79 हजार करोड़ के सौदे को दी मंजूरी, इन आधुनिक हथियारों से थर-थर कांपेंगे दुश्मन देश

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नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में करीब 79,000 करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी दी गई। यह फैसला भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना — तीनों सेनाओं की युद्धक क्षमता में बड़ा इजाफा करेगा और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को नई गति देगा।

थलसेना को मिलेगी नई मिसाइल और निगरानी शक्ति

थलसेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम एमके-IIग्राउंड बेस्ड मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम और हाई मोबिलिटी व्हीकल्स की खरीद को मंजूरी दी गई है।

  • नाग मिसाइल सिस्टम एमके-II दुश्मन के टैंकों और किलेबंद ठिकानों को सटीकता से नष्ट करने में सक्षम है।
  • ग्राउंड बेस्ड इंटेलिजेंस सिस्टम से सेना दुश्मन की रेडियो तरंगों और इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों की 24 घंटे निगरानी कर सकेगी।
  • वहीं, हाई मोबिलिटी व्हीकल्स कठिन इलाकों में रसद और भारी उपकरण पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।

नौसेना की समुद्री शक्ति होगी और मजबूत

भारतीय नौसेना के लिए लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स30 मिमी नेवल सरफेस गनएडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडोइलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम और स्मार्ट गोला-बारूद की खरीद को स्वीकृति मिली है।

  • इन प्रणालियों से नौसेना की उभयचर युद्धक और समुद्री निगरानी क्षमता में भारी सुधार होगा।
  • लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स से थलसेना और वायुसेना के साथ संयुक्त ऑपरेशन संभव होंगे।
  • एडवांस्ड टॉरपीडो को DRDO ने विकसित किया है, जो दुश्मन की पनडुब्बियों को सटीकता से निशाना बना सकता है।

वायुसेना को मिलेगा अत्याधुनिक हमला सिस्टम

वायुसेना के लिए कॉलैबोरेटिव लॉन्ग रेंज टारगेट सैचुरेशन/डिस्ट्रक्शन सिस्टम और कई अन्य अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दी गई है।
यह सिस्टम स्वचालित टेकऑफ, लैंडिंग और लक्ष्य पर सटीक हमला करने में सक्षम है। इससे वायुसेना की रणनीतिक मारक क्षमता और सटीकता में बड़ा सुधार होगा।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निर्णायक कदम

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इन सभी परियोजनाओं से देश की सैन्य ताकत आधुनिक होगी और साथ ही स्वदेशी रक्षा उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। ज्यादातर प्रणालियाँ भारत में निर्मित की जाएंगी, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को बल मिलेगा। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस मंजूरी से तीनों सेनाओं की क्षमता में बड़ा विस्तार होगा और भारत किसी भी परिस्थिति में पूर्ण सैन्य तैयारी के साथ जवाब देने में सक्षम होगा।

नौसेना को मिली पहली स्वदेशी एंटी-सबमरीन युद्धपोत ‘माहे’

इस बीच, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने भारतीय नौसेना को स्वदेशी तकनीक से बनी पहली एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘माहे’ सौंप दी है। यह आठ जहाजों की श्रृंखला का पहला पोत है, जिसे कोच्चि में औपचारिक रूप से नौसेना को सुपुर्द किया गया। इस मौके पर CSL के निदेशक डॉ. एस. हरिकृष्णन और ‘माहे’ के कमांडिंग ऑफिसर कमांडर अमित चंद्र चौबे के बीच हस्ताक्षर हुए। कार्यक्रम में रियर एडमिरल आर. अधिस्रीनिवासनकमोडोर अनुप मेनन सहित नौसेना और शिपयार्ड के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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