प्रदेश के कृषकों के लिए आगामी दो सप्ताह के मौसम और कृषि प्रबंधन पर परामर्श जारी

लखनऊ| उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद के सभाकक्ष में आज क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की वर्ष 2024-25 की तेरहवीं बैठक संपन्न हुई, जिसमें महानिदेशक डॉ. संजय सिंह ने अध्यक्षता की। बैठक के दौरान प्रदेश के किसानों को आगामी सप्ताह (09 से 22 अगस्त, 2024) के लिए मौसम आधारित कृषि परामर्श जारी किए गए।

मौसम पूर्वानुमान (09 से 22 अगस्त, 2024):

भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, 9 से 15 अगस्त के बीच प्रदेश के अधिकांश कृषि जलवायु अंचलों में हल्की से मध्यम और कहीं-कहीं भारी वर्षा की संभावना है। भाभर तराई और बुंदेलखंड के पश्चिमी भाग को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में औसत साप्ताहिक वर्षा सामान्य या सामान्य से अधिक हो सकती है। 16 से 22 अगस्त के दौरान भी प्रदेश के कई हिस्सों में अच्छी क्षेत्रीय वर्षा होने की संभावना है, जिसमें भाभर तराई और उत्तरी-पूर्वी मैदानी क्षेत्र के उत्तरी भाग को छोड़कर शेष प्रदेश में सामान्य या उससे अधिक वर्षा की संभावना है।

कृषि प्रबंधन के लिए प्रमुख सुझाव:

– धान: जल प्लावित खेतों से पानी की निकासी की व्यवस्था करें। गले हुए पौधों की जगह नई पौधों की रोपाई करें। लंबे समय की धान प्रजातियों में यूरिया की टॉपड्रेसिंग करें। कीट नियंत्रण के लिए एसिटामिप्रिड, कार्बोफ्यूरान, और फिप्रोनिल का प्रयोग करें।

– कम वर्षा वाले क्षेत्र: ऐसे क्षेत्रों में धान के बजाय सीमित सिंचाई में बाजरा, उर्द/मूंग की बुवाई प्राथमिकता से करें। बाजरा और मूंग/उर्द की सहफसली खेती करने की सलाह दी गई है।

– दलहनी एवं तिलहनी फसलें: जल निकासी का उचित प्रबंध करें। बाजरा की उन्नतशील संकुल किस्मों की बुवाई अगस्त के पहले पखवाड़े में पूरी कर लें।

– मक्का और अरहर: मक्का में तना छेदक और अरहर में पत्ती लपेटक के प्रकोप से बचाव के लिए उचित कीटनाशकों का छिड़काव करें।

– गन्ना: बेधक कीटों के नियंत्रण के लिए ट्राइकोग्रामा कार्ड का उपयोग करें। पायरीला के प्रकोप के लिए क्वीनालफास का छिड़काव करें।

– सब्जियां: खरीफ सब्जियों की खेती मचान विधि से करें। टमाटर और फूलगोभी की अगेती किस्मों की नर्सरी तैयार करें। कीटों से बचाव हेतु नीम आधारित उत्पादों का प्रयोग करें।

– पशुपालन: खुरपका और मुंहपका बीमारी का टीकाकरण 30 अगस्त तक और गलाघोंटू बीमारी का टीकाकरण 15 अगस्त तक किया जाएगा। पशुओं को जलभराव वाले क्षेत्रों से बचाएं।

– मत्स्य पालन: मत्स्य बीज संचय और तालाबों में प्लेंकटान का छिड़काव करें। गंदे पानी वाले तालाबों में जियोलाइट का प्रयोग करें।

– वज्रपात और सर्पदंश: वज्रपात और सर्पदंश से बचाव के उपायों का पालन करें। ऐसी घटनाओं में प्रभावित परिवारों को सरकार द्वारा 4 लाख रुपये की सहायता दी जाती है। अधिक जानकारी के लिए जिलाधिकारी कार्यालय से संपर्क करें।

ये सुझाव किसानों को मौसमी परिस्थितियों के अनुसार कृषि प्रबंधन में सहायता करेंगे और संभावित जोखिमों को कम करने में मददगार साबित होंगे।