यूके पीएम स्टार्मर को भारत के आधार मॉडल से मिली प्रेरणा

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भारत के आधार कार्ड सिस्टम से प्रेरणा लेकर अपने देश में भी राष्ट्रीय डिजिटल आईडी सिस्टम लागू कर सकते हैं।
मंगलवार को मुंबई पहुंचने के बाद स्टार्मर ने सबसे पहले इन्फोसिस के सह-संस्थापक और UIDAI के पूर्व चेयरमैन नंदन नीलेकणी से मुलाकात की थी।
ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के अनुसार, डाउनिंग स्ट्रीट ने साफ किया कि यह मुलाकात किसी व्यावसायिक समझौते के लिए नहीं थी, बल्कि यह समझने के लिए थी कि भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल पहचान प्रणाली कैसे बनाई।
स्टार्मर कई बार सार्वजनिक रूप से आधार को एक सफल मॉडल बता चुके हैं। उन्होंने कहा था,
“हम एक ऐसे देश जा रहे हैं जहां पहले से ही आईडी सिस्टम लागू है और वह बड़ी सफल रही है। इसलिए मेरी एक बैठक इसी विषय पर है।”
ब्रिटिश प्रधानमंत्री का मानना है कि एक केंद्रीकृत डिजिटल आईडी नागरिकों के लिए जीवन को आसान बनाएगी — चाहे वह स्कूल में आवेदन, चाइल्डकेयर या सार्वजनिक सेवाओं के लिए हो।
हाल ही में उन्होंने घोषणा की थी कि ब्रिटेन में रोजगार चाहने वाले नागरिकों और स्थायी निवासियों के लिए डिजिटल आईडी कार्ड अनिवार्य होंगे।

हालांकि, भारत के आधार सिस्टम की तरह यूके की आईडी में फिलहाल बायोमेट्रिक डेटा शामिल नहीं होगा।
गौरतलब है कि ब्रिटेन में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से पहचान पत्र अनिवार्य नहीं रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने जब बायोमेट्रिक आईडी कार्ड लाने की कोशिश की थी, तो उसे जनता के विरोध के कारण वापस लेना पड़ा था।
इसी दौरान स्टार्मर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात में दोनों देशों ने व्यापार और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर सहमति जताई। इसके तहत दोनों देशों में अधिक निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी बात हुई।
संयुक्त बयान के अनुसार, भारत और ब्रिटेन ने मिलकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) केंद्र, कनेक्टिविटी और इनोवेशन सेंटर, तथा क्रिटिकल मिनरल्स इंडस्ट्री गिल्ड स्थापित करने का फैसला किया।
इसके अलावा, रिन्यूएबल एनर्जी, हेल्थ रिसर्च और क्लाइमेट टेक्नोलॉजी स्टार्टअप फंड में संयुक्त निवेश की घोषणा भी की गई।
इन समझौतों से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को गति, यूके यूनिवर्सिटी कैंपसों के भारत में विस्तार, और आधुनिक तकनीक के उपयोग से समान आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
