ब्लैक बॉक्स से पता चलेगा अहमदाबाद विमान हादसे की वजह; कैसे होगी जांच, कितना समय लगेगा?

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नई दिल्‍ली । अहमदाबाद(Ahmedabad) से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद एयर इंडिया(Air India) का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान दुर्घटनाग्रस्त(airplane crash) हो गया, जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई। यह हादसा पिछले एक दशक में विश्व का सबसे बड़ा विमानन हादसा बन गया है। विमान लंदन जा रहा था और उड़ान संख्या AI-171 थी। इसमें कुल 242 लोग सवार थे। दुर्घटना के बाद प्राथमिकता विमान के ब्लैक बॉक्स की तलाश और विश्लेषण पर दी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस महत्वपूर्ण डेटा को पूरी तरह से डिकोड करने और विश्लेषण करने में कई हफ्ते से लेकर कई महीने लग सकते हैं।

AI-171 की फ्लाइट ने दोपहर 1:39 बजे अहमदाबाद से उड़ान भरी थी। टेकऑफ के कुछ ही समय बाद विमान ने ‘मेडे’ कॉल भेजा और लगभग 625 फीट की ऊंचाई पर एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर गिर गया। यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी उड़ान में यात्रियों की मौत हुई है। यह विमान 2011 से व्यावसायिक सेवाओं में है और इसे अब तक सबसे सुरक्षित विमानों में गिना जाता रहा है।

ब्लैक बॉक्स क्या है और क्यों है अहम?

‘ब्लैक बॉक्स’ नाम के बावजूद, यह नारंगी रंग के दो मजबूत उपकरण होते हैं। पहला फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR), जो विमान की ऊंचाई, गति, इंजन की स्थिति और पायलट द्वारा की गई हर तकनीकी क्रिया को रिकॉर्ड करता है। दूसरा कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) जो कि पायलटों की बातचीत, कंट्रोल टॉवर से रेडियो संपर्क और कॉकपिट की अन्य आवाजें रिकॉर्ड करता है।

अमेरिकी संस्था नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) के अनुसार, ब्लैक बॉक्स में लगातार 25 घंटे तक की उड़ान की जानकारी रिकॉर्ड होती है। अहमदाबाद हादसे में यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण होगी ताकि यह पता चल सके कि दुर्घटना का कारण तकनीकी खराबी था, इंजन फेल हुआ, पायलट से चूक हुई, या कोई अन्य कारण रहा।

विशेषज्ञों के अनुसार, टेकऑफ के तुरंत बाद ऊंचाई न बढ़ा पाने और आपात कॉल भेजने जैसी स्थिति में FDR से इंजनके प्रदर्शन और चेतावनी संकेतों की जानकारी मिलेगी। जबकि CVR उस क्षण में पायलटों द्वारा किए गए प्रयासों और संवाद को उजागर करेगा।

ब्लैक बॉक्स की जांच कैसे होती है?

ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद उसे भारत की विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) या किसी अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला में भेजा जाता है। यदि डिवाइस क्षतिग्रस्त हो तो उसमें मौजूद मेमोरी को निकालकर दूसरे सिस्टम में ट्रांसप्लांट किया जाता है। जांच प्रक्रिया में उड़ान डेटा और ऑडियो को एक साझा टाइमलाइन पर मिलाया जाता है और एयर ट्रैफिक कंट्रोल रिकॉर्ड तथा रडार डाटा से तुलना की जाती है। अब तो जांचकर्ता 3D सिमुलेशन बनाकर विमान की अंतिम उड़ान को विज़ुअल रूप में भी देख सकते हैं।

विमानन सुरक्षा सलाहकार एंथनी ब्रिकहाउस ने उपलब्ध वीडियो में देखा कि विमान का लैंडिंग गियर नीचे था, जबकि वह ऊपर होना चाहिए था। यह एक तकनीकी समस्या की ओर संकेत करता है, जिसे ब्लैक बॉक्स डाटा से पुष्टि मिल सकती है।

जांच में कितना समय लगेगा?

अगर ब्लैक बॉक्स डिवाइस सही स्थिति में हो तो प्रारंभिक डाटा निकालने में 2 से 4 सप्ताह लगते हैं। लेकिन अगर वे जल या टक्कर से क्षतिग्रस्त हुए हों तो उन्हें साफ करने, सुखाने और मरम्मत में अधिक समय लग सकता है।

अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) के नियमों के अनुसार, प्रारंभिक रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर जारी करनी होती है, लेकिन पूरी रिपोर्ट आने में 12 से 24 महीने तक लग सकते हैं। FAA (संघीय विमानन प्रशासन) के अनुसार, आधुनिक विमान हर सेकंड हजारों डेटा पॉइंट जनरेट करते हैं, जिनका विश्लेषण बेहद सूक्ष्मता से करना पड़ता है। हालांकि अमेरिकी NTSB की मदद से भारतीय जांच दल की प्रक्रिया तेज हो सकती है। फिर भी चूंकि यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का पहला बड़ा हादसा है, इसलिए इसकी जटिलताओं को समझने में अधिक समय लग सकता है।

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