48 घंटे की बारिश से मणिपुर में भूस्खलन और बाढ़, 883 मकानों को नुकसान; 3800 बेघर

नई दिल्ली । पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर प्राकृतिक(North-eastern state of Manipur) आपदा की चपेट में है। बीते 48 घंटों से हो रही लगातार भारी बारिश(rain) के कारण राज्य के कई इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन (flood and landslide)की घटनाएं सामने आई हैं। जलभराव (waterlogging)से इंफाल समेत कई इलाके प्रभावित हैं, जबकि सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा है। प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है।
मणिपुर में बीते दो दिनों से लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने तबाही मचा दी है। बाढ़ और भूस्खलन के कारण अब तक 3,802 लोग प्रभावित हुए हैं और 883 मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। रविवार को अधिकारियों ने बताया कि नदियों के उफान पर आने और तटबंधों के टूटने से राजधानी इंफाल और इंफाल पूर्व जिले में हालात बिगड़ गए हैं।
800 लोगों का रेस्क्यू

राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने स्वयं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायज़ा लिया। उन्होंने मुख्य सचिव पी. के. सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इंफाल के कांगला नोंगपोक थोंग, लैरिक्येंगबाम लेइकाई और सिंगजामेई ब्रिज का निरीक्षण किया। सेना और असम राइफल्स की टीमों ने सबसे अधिक प्रभावित इंफाल पूर्व जिले में जलमग्न इलाकों से लगभग 800 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 12 स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं। 3,275 गांव या क्षेत्र बारिश की चपेट में आए हैं। 2 लोग घायल हुए और 64 मवेशियों की मौत हो चुकी है। इंफाल नदी और इरिल नदी के उफान पर आने से ऑल इंडिया रेडियो इंफाल और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान सहित कई सरकारी परिसरों में पानी भर गया है। हालांकि, इरिल नदी के किनारे बने तटबंध अब तक टूटे नहीं हैं, लेकिन खतरे का स्तर पार कर चुके हैं।
स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण तटबंधों को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों जैसे चेकॉन और वांगखेई में जलस्तर में थोड़ी कमी आई है, लेकिन खुरई और हिंगांग निर्वाचन क्षेत्र अब भी गंभीर रूप से प्रभावित हैं। राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने अधिकारियों को सतर्क रहने, नदी के जलस्तर की निगरानी करने और तुरंत राहत और निकासी अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों को भी सतर्क कर दिया गया है।