5.95 करोड़ के फर्जी आईटीसी मामले में राज्य कर के डिप्टी कमिश्नर पर योगी सरकार का ऐक्शन, सस्पेंड
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य कर विभाग में बड़ी कार्रवाई की है। राज्य कर उपायुक्त राजेश कुमार द्विवेदी को 5.95 करोड़ रुपये के फर्जी आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) मामले में तात्कालिक प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। विभागीय जांच में पाया गया कि राजेश कुमार ने सहायक आयुक्त के रूप में तैनाती के दौरान गंभीर अनियमितताएं की थीं। उन पर आरोप है कि गोरखपुर में सहायक आयुक्त पद पर रहने के दौरान उन्होंने तिवारी इंटरप्राईजेज, दिनेश इंटरप्राईजेज और हिमांशु ट्रेडर्स को पंजीयन जारी करने के मामलों में जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, घोषित व्यापार स्थल के पते पर ये फर्में मौजूद नहीं थीं। बावजूद इसके, राजेश कुमार ने इनका पंजीकरण देरी से निरस्त किया। परिणामस्वरूप, संबंधित फर्मों ने बोगस आईजीएसटी आईटीसी (IGST ITC) को प्रदेश के बाहर कपटपूर्ण तरीके से अग्रेषित कर दिया।
राज्य कर सहारनपुर के कार्यालय से संबद्ध
इस कार्रवाई से सरकार को लगभग 5 करोड़ 95 लाख 18 हजार 980 रुपये का राजस्व नुकसान हुआ। विभागीय जांच में राजेश कुमार को इस नुकसान के लिए प्रथमदृष्टया दोषी पाया गया है। इसके चलते उन्हें उप्र सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के नियम-4 के अंतर्गत तात्कालिक प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। राजेश कुमार द्विवेदी निलंबन अवधि में संयुक्त आयुक्त (कार्यपालक) राज्य कर सहारनपुर के कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।

इससे पहले भ्रष्टाचार के आरोप में राज्य कर विभाग के तीन सहायक आयुक्तों को शासन ने निलंबित किया गया था। हापुड़ के तत्कालीन सहायक आयुक्त जितेन्द्र कुमार को राज्य कर अधिकारी की सिफारिश के बाद भी निशा इंटरप्राइजेज नामक फर्म का जीएसटी पंजीयन रद न करने के मामले सस्पेंड किया गया था। इसी मामले में हापुड़ के तत्कालीन सहायक आयुक्त अभय कुमार पटेल को दस्तावेजों की जांच के बिना जीएसटी पंजीकरण करने के आरोप में निलंबित किया गया था। वहीं एक अन्य मामले में गोरखपुर के सहायक आयुक्त अजय कुमार को दस्तावेजों की जांच के बिना लकी इंटरप्राइजेज नामक फर्म का पंजीकरण करने के मामले में निलंबित किया गया था।

