भारत समुद्री सप्ताह 2025: सम्मेलन को पीएम मोदी ने किया संबोधित, कहा-भारत का समुद्री क्षेत्र बड़ी तेजी और ऊर्जा के साथ बढ़ रहा आगे
नई दिल्ली: पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के मुंबई में भारत समुद्री सप्ताह 2025 के अवसर पर वैश्विक समुद्री नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित किया । पीएम ने इस अवसर पर अपने संबोधन में वैश्विक समुद्री नेतृत्व सम्मेलन में सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन 2016 में मुंबई में शुरू हुआ था और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि अब यह एक वैश्विक शिखर सम्मेलन के रूप में विकसित हो गया है।
पीएम मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 85 से अधिक देशों की भागीदारी एक मजबूत संदेश देती है। उन्होंने इस कार्यक्रम में एकत्रित प्रमुख नौवहन प्रतिनिधियों, स्टार्टअप्स, नीति निर्माताओं और नवप्रवर्तकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की उपस्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने छोटे द्वीपीय देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति को भी स्वीकार करते हुए कहा कि उनके सामूहिक दृष्टिकोण ने शिखर सम्मेलन के तालमेल और ऊर्जा को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है।
उन्होंने ने इस सम्मेलन में नौवहन क्षेत्र से संबंधित कई परियोजनाओं के शुभारंभ का उल्लेख करते हुए, इस बात पर भी प्रकाश डाला कि नौवहन क्षेत्र में लाखों करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। पीएम ने कहा कि यह भारत की समुद्री क्षमताओं में वैश्विक विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों की उपस्थिति उनकी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
पीएम ने कहा, “21वीं सदी में, भारत का समुद्री क्षेत्र बड़ी तेजी और ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है।” पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि वर्ष 2025 इस क्षेत्र के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियां भी साझा कीं। उन्होंने कहा कि भारत का पहला गहरे पानी का अंतरराष्ट्रीय ट्रांस-शिपमेंट हब, विझिंजम पोर्ट, अब चालू है। पीएम मोदी ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा कंटेनर पोत हाल ही में बंदरगाह पर पहुंचा है, जो प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में, भारत के प्रमुख बंदरगाहों ने अब तक का सबसे अधिक कार्गो क्षेत्र संभाला है, जिसने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि पहली बार, किसी भारतीय बंदरगाह ने मेगावाट पैमाने की स्वदेशी ग्रीन हाइड्रोजन सुविधा शुरू की है और इस उपलब्धि का श्रेय कांडला पोर्ट को जाता है। उन्होंने कहा कि जेएनपीटी में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की गई है, जहां भारत मुंबई कंटेनर टर्मिनल का चरण 2 शुरू हो गया है। पीएम ने कहा, “इससे टर्मिनल की हैंडलिंग क्षमता दोगुनी हो गई है, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह बन गया है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह भारत के बंदरगाह बुनियादी ढांचे में सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के कारण संभव हुआ है। उन्होंने सिंगापुर के साझेदारों के प्रति उनके योगदान के लिए विशेष आभार व्यक्त किया।
पीएम ने कहा कि इस वर्ष भारत ने समुद्री क्षेत्र में अगली पीढ़ी के सुधारों की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं। “एक सदी से भी ज़्यादा पुराने औपनिवेशिक नौवहन कानूनों को 21वीं सदी के अनुकूल आधुनिक और भविष्य के अनुकूल कानूनों से बदल दिया गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि ये नए कानून राज्य समुद्री बोर्डों को सशक्त बनाते हैं, सुरक्षा और स्थायित्व को मजबूत करते हैं और बंदरगाह प्रबंधन में डिजिटलीकरण का विस्तार करते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि मर्चेंट शिपिंग अधिनियम के अंतर्गत भारतीय कानूनों को वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुरूप बनाया गया है। इस अनुकूलन ने सुरक्षा मानकों में विश्वास बढ़ाया है, व्यापार करने में आसानी में सुधार किया है और सरकारी हस्तक्षेप को कम किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन प्रयासों से हितधारकों और निवेशकों का विश्वास और बढ़ेगा।
पीएम ने कहा, “भारत के बंदरगाह अब विकासशील देशों में सबसे कुशल बंदरगाहों में गिने जाते हैं और कई मामलों में, विकसित देशों के बंदरगाहों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।” उन्होंने प्रमुख प्रदर्शन आँकड़े साझा करते हुए बताया कि भारत में कंटेनरों का औसत ठहराव समय तीन दिनों से भी कम हो गया है, जो कई विकसित देशों से बेहतर है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जहाजों का औसत टर्नअराउंड समय छियानबे घंटे से घटकर केवल अड़तालीस घंटे रह गया है, जिससे भारतीय बंदरगाह वैश्विक शिपिंग लाइनों के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी और आकर्षक बन गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। उन्होंने समुद्री मानव संसाधन में भारत की बढ़ती ताकत पर ज़ोर देते हुए कहा कि पिछले एक दशक में भारतीय नाविकों की संख्या 1.25 लाख से बढ़कर 3 लाख से अधिक हो गई है। नाविकों की संख्या के मामले में आज भारत दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल है।
पीएम ने ज़ोर देकर कहा, “जहाज निर्माण अब भारत की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।” जहाज निर्माण में भारत की ऐतिहासिक प्रमुखता का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि देश कभी इस क्षेत्र का एक प्रमुख वैश्विक केंद्र था। उन्होंने बताया कि अजंता की गुफाएँ आयोजन स्थल से ज्यादा दूर नहीं हैं, जहाँ छठी शताब्दी की एक पेंटिंग में तीन मस्तूल वाले जहाज का डिज़ाइन दर्शाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राचीन भारतीय कला में दिखाई देने वाले इस डिजाइन को सदियों बाद अन्य देशों ने भी अपनाया।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की सुदृढ़ता को मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता पर ज़ोर देते हुए और इस बात का ज़िक्र करते हुए कि देश सक्रिय रूप से विश्वस्तरीय मेगा बंदरगाहों का निर्माण कर रहा है, श्री मोदी ने घोषणा की कि महाराष्ट्र के वधावन में 76,000 करोड़ रुपये की लागत से एक नया बंदरगाह बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अपने प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता को चौगुना करने और कंटेनरीकृत कार्गो में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सभी उपस्थित हितधारक प्रमुख भागीदार हैं। उन्होंने उनके विचारों, नवाचारों और निवेशों का स्वागत किया। श्री मोदी ने दोहराया कि भारत बंदरगाहों और नौवहन में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देता है और सार्वजनिक-निजी भागीदारी का तेज़ी से विस्तार हो रहा है। “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” परिकल्पना के अंतर्गत, प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं और राज्यों को निवेश आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने विभिन्न देशों के निवेशकों से भारत के नौवहन क्षेत्र में शामिल होने और विस्तार करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाने का आग्रह करते हुए कहा कि यह सही समय है।
समावेशी समुद्री विकास पर भारत के ध्यान देने पर ज़ोर देते हुए, पीएम ने कहा कि यह लक्ष्य केवल छोटे द्वीपीय विकासशील देशों और अल्पविकसित देशों को प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे के माध्यम से सशक्त बनाकर ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों, आर्थिक अनिश्चितता और समुद्री सुरक्षा से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

