एमिटी यूनिवर्सिटी दीक्षांत समारोह में पीयूष गोयल ने 29,000 छात्रों से की सार्वजनिक जीवन में आने की अपील

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एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा के वार्षिक दीक्षांत समारोह में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा योगदान प्रतिभाशाली छात्रों को प्रोत्साहित करना, उनका विकास करना और उनकी क्षमताओं को सम्मान देने वाला मंच उपलब्ध कराना होता है। उन्होंने ऑनलाइन और ऑन-कैंपस मिलाकर लगभग 29,000 छात्रों के विशाल ग्रेजुएटिंग बैच को बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थियों की उपलब्धियां ही इस समारोह का वास्तविक केंद्र हैं। केंद्रीय मंत्री ने विश्वविद्यालय की मेरिट-आधारित स्कॉलरशिप प्रणाली की प्रशंसा की, जिसने आवश्यकता-आधारित प्रवेश को संभव बनाया है। उन्होंने यह भी बताया कि यहाँ की आधी छात्र आबादी युवा महिलाओं की है और छात्रों के पास 450 से अधिक पेटेंट हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 50 फैकल्टी सदस्य रामलिंगम स्वामी फेलो हैं जो राष्ट्र सेवा के लिए वापस लौटे हैं।

पीयूष गोयल ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस को याद करते हुए कहा कि संविधान के मूल्यों-समानता, सामाजिक सद्भाव और सभी के लिए अवसर को हमेशा याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज के कमजोर वर्गों को आगे बढ़ाने की सबसे बड़ी शक्ति है और छात्रों का कर्तव्य है कि वे समाज और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें। उन्होंने कहा कि आज का ग्रेजुएटिंग बैच भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है और आने वाले 25 वर्ष “विकसित भारत” के लिए निर्णायक होंगे। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपने क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित करें और देश के विकास में योगदान दें।

गोयल ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन का उल्लेख किया, जिसमें पीएम ने एक लाख युवाओं से सार्वजनिक जीवन और राजनीति में आने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि देश को ईमानदार और समर्पित सार्वजनिक नेताओं की आवश्यकता है जो 140 करोड़ नागरिकों को कर्तव्य और जिम्मेदारी का संदेश दे सकें-पहले परिवार के लिए, फिर समाज के लिए और अंत में राष्ट्र के लिए। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय राजनीति और सार्वजनिक जीवन पर गहरी समझ विकसित करने में छात्रों की मदद करें और उन्हें जनप्रतिनिधियों के साथ इंटर्नशिप के अवसर भी दें ताकि वे शासन और सार्वजनिक सेवा को प्रत्यक्ष रूप से समझ सकें।

उन्होंने कहा कि जैसा उन्हें कंप्यूटर शिक्षा में सिखाया गया था-“garbage in, garbage out” उसी तरह भारतीय राजनीति को अच्छे लोगों की जरूरत है। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि अधिक से अधिक युवा सार्वजनिक जीवन में आएँगे तो भारत दुनिया की महाशक्ति बनने की राह पर और तेजी से आगे बढ़ेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री के उस कथन को दोहराया कि देश का भविष्य “can-do generation” के हाथों में है और युवा ही नया भारत बनाएँगे।

अपने संबोधन में उन्होंने प्रधानमंत्री के 15 अगस्त 2022 के भाषण में बताए गए पाँच प्रणों का भी उल्लेख किया। इनमें विकसित भारत का संकल्प, औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति, भारत की विरासत पर गर्व, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की एकता और कर्तव्य भावना शामिल थे। उन्होंने कहा कि यदि 140 करोड़ भारतीय इन प्रणों को अपनाएँ, तो भारत 2022 से 2047 की यात्रा में 4 ट्रिलियन डॉलर से 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2,500 डॉलर से 20,000 डॉलर की प्रति व्यक्ति आय तक पहुँच सकेगा। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे इन पाँच प्रणों पर गहराई से विचार करें और जो उन्हें प्रेरित करे उसे अपने जीवन में अपनाएँ।

पीयूष गोयल ने शिक्षकों और माता-पिता के योगदान की सराहना की और कहा कि उनकी मेहनत और समर्पण ने छात्रों को इस मुकाम तक पहुँचाया है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपनी मातृसंस्था से जुड़े रहें और अपने शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करें। उन्होंने कहा कि जीवन में चुनौतियाँ और संघर्ष आते रहेंगे, लेकिन एमिटी यूनिवर्सिटी की शिक्षा और मूल्य उन्हें हर कठिनाई का सामना करने में सक्षम बनाएँगे। उन्होंने छात्रों से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में योगदान देने की अपील की।