जल संरक्षण में ओडिशा ने मारी बाज़ी
लखनऊ : कभी अपने पानी के संकट के लिए चर्चा में रहने वाले ओडिशा को केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में ओडिशा ने उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ा। पुडुचेरी और गुजरात संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने राष्ट्रीय जल पुरस्कारों की घोषणा की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 22 अक्टूबर को राजधानी में ये पुरस्कार वितरित करेंगी। उड़ीसा इस बार जल पुरस्कारों में छाया रहा है।
उसके जिले बालागीर को पूर्वी क्षेत्र से विजेता बनने का मौका मिला है। इसके साथ ही ओडिशा का पुरी सबसे अच्छे शहरी निकायों में दूसरे स्थान पर रहा और मयूरभंज स्थित एक स्कूल सर्वश्रेष्ठ विद्यालय या कालेज की श्रेणी में तीसरा पुरस्कार जीतने में सफल रहा। इस श्रेणी में सरकारी सर्वोदय कन्या विद्यालय बी-3 पश्चिम विहार दूसरे नंबर पर रहा, जबकि पहला एवार्ड सीकर के एक सरकारी विद्यालय को प्राप्त हुआ।
‘ओडिशा ने पिछले एक साल में किया बेहतर कार्य’
मंत्रालय की सचिव देवाश्री मुखर्जी ने बताया कि ओडिशा ने पिछले एक साल में जल संरक्षण और संचयन के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है और इस आधार पर दस सदस्यीय ज्यूरी ने उसे पहले स्थान के लिए चुना। देवाश्री ने इसका विवरण देते हुए बताया कि राज्य की प्रगति दूसरे राज्यों के लिए सीखने लायक है।
जल संरक्षण के लिए बनाए 53000 स्ट्रक्चर
इस राज्य ने जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन के लिए 53000 स्ट्रक्चर बनाए हैं। 10,800 रीयूज और रीचार्ज ढांचों का निर्माण किया गया है और 11,000 परंपरागत जल स्त्रोतों का पुनरुद्धार किया गया है। पीएम कृषि सिंचाई योजना और माइक्रो इरिगेशन में भी उड़ीसा ने सबसे अच्छा काम किया है।
जलभराव से बची 40,000 हेक्टेयर जमीन
1800 किलोमीटर ड्रेनेज लाइन दुरुस्त करने के कारण 40,000 हेक्टेयर जमीन जलभराव से बची है। सर्वश्रेष्ठ जिले का अवार्ड पांच जोन-उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और पूर्वोत्तर में दिया गया। पश्चिम क्षेत्र से इंदौर और उत्तर से बांदा और जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले को संयुक्त रूप से पहला अवार्ड मिला है। दक्षिण से विशाखापट्टनम ने मारी बाजी । सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय में पहले तीन स्थान पर क्रमश: सूरत, पुरी और पुणे रहे।