मध्यप्रदेश सरकार ने 8.8 लाख किसानों को 653 करोड़ रुपये का दिया मुआवजा

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मध्यप्रदेश सरकार ने अत्यधिक बारिश और येलो मोज़ेक वायरस (Yellow Mosaic Virus) से हुए फसल नुकसान के लिए 8.8 लाख किसानों को कुल 653 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में वितरित किए हैं।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि यह वायरस राज्य के 12 जिलों में लगभग 3,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों को प्रभावित कर चुका है। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किसानों से कहा, “यह पहली बार है जब फसल के बाजार पहुँचने से पहले ही मुआवजा राशि वितरित की गई है। भविष्य में भी हम इसी तरह का सहयोग देंगे।”

मुख्यमंत्री ने यह भी पुष्टि की कि किसानों की कीमत अंतर को कवर करने वाला ‘भावांतर योजना’ (Bhavantar Scheme) भी उपलब्ध रहेगा। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, यह वायरस प्रमुख दलहन उत्पादक क्षेत्रों में फैल चुका है।

बुरहानपुर जिले में एक केला किसान को 3.6 लाख रुपये का मुआवजा मिला, जो व्यक्तिगत नुकसान की गंभीरता को दर्शाता है।

कुल 8,84,880 किसानों को 3,554 गांवों में 6,52,865 हेक्टेयर फसल नुकसान के लिए मुआवजा दिया गया। इनमें से 3,90,275 किसानों को 1,854 गांवों में अत्यधिक वर्षा और जलभराव से हुए नुकसान के लिए मुआवजा मिला, जिसने 3,49,498 हेक्टेयर क्षेत्र को प्रभावित किया।

रातलाम जिले को सबसे अधिक 171 करोड़ रुपये का आवंटन मिला, इसके बाद नीमच को 119 करोड़ और मंदसौर को 35 करोड़ रुपये मिले।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, प्रभावित क्षेत्रों में औसत फसल हानि 40% से 70% तक है, जो संक्रमण की गंभीरता और फसल की किस्म पर निर्भर करती है।

येलो मोज़ेक वायरस मुख्य रूप से सोयाबीन और उच्‍च प्रोटीन वाली दलहन फसलों जैसे उरद व मूंग को प्रभावित करता है। यह पत्तियों का पीला पड़ना, वृद्धि में रुकावट और पैदावार में गिरावट पैदा करता है। यह वायरस सफेद मक्खियों द्वारा फैलता है और गरम व आर्द्र मौसम में तेजी से बढ़ता है, जिससे मध्यप्रदेश के बड़े हिस्से विशेष रूप से संवेदनशील हैं।

सरकार का राहत पैकेज तत्काल वित्तीय सहायता देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, जिसमें मुआवजा राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में डिजिटल प्रणाली के माध्यम से ट्रांसफर की जाती है। कृषि विभाग क्षेत्र सर्वेक्षण और उपग्रह इमेजरी का उपयोग कर नुकसान की पुष्टि और सही मुआवजा सुनिश्चित कर रहा है।

मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि सरकार संकट के समय किसानों के साथ खड़ी है, खासकर त्योहारों के सीजन में। उन्होंने लंबी अवधि की रणनीतियों की भी ओर संकेत किया, जिसमें रोग-प्रतिरोधी फसल किस्मों का विकास और बेहतर कीट प्रबंधन प्रणाली शामिल है।

किसानों ने इस घोषणा का स्वागत किया है, लेकिन कई किसानों ने बेहतर आधारभूत संरचना, गुणवत्तापूर्ण बीज और समय पर सलाह जैसी अतिरिक्त सहायता की भी मांग की है।

यह वित्तीय पहल हाल के वर्षों में किसी भी राज्य स्तर पर पौध रोग प्रकोप के प्रति सबसे बड़ा जवाब है, जो जलवायु-संवेदनशील चुनौतियों के बीच कृषि क्षेत्र की मजबूती की आवश्यकता को दर्शाता है।