काशी में उफान पर गंगा, घाटों का आपस में टूटा संपर्क; जलस्तर में दर्ज की गई बढ़ोतरी

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वाराणसी: काशी में गंगा उफान पर है। लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण काशी के कई घाटों का आपस में सम्पर्क टूट गया है। वहीं जिला प्रशासन ने नाविकों के साथ बैठक करने के बाद छोटी नावों के संचालन पर रोक लगा दी है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को दोबारा से गंगा के जलस्तर में वृद्धि देखी गई, जो रविवार की रात तक 2 सेंटीमीटर प्रतिघण्टे की रफ्तार से बढ़ रही थी। हालांकि सोमवार की सुबह से गंगा का जलस्तर स्थिर है। रिपोर्ट के मुताबिक आज सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 62.98 दर्ज किया गया है। काशी में गंगा का वार्निंग लेबल 70.26, जबकि खतरे का निशान 71.26 पर है। वहीं हाइएस्ट फ्लड लेवल 73.90 का रिकार्ड 1978 में दर्ज है।

निचले इलाकों में प्रशासन कर रहा निगरानी
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एक तरफ गंगा वाराणसी में स्थिर है, तो वहीं गाजीपुर और फाफामऊ में अभी भी गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी जारी है। ऐसे में वाराणसी के गंगा सभी 84 घाटों के अलावा वरुणा के दबाव को झेलने वाले इलाकों पर सिविल पुलिस, जल पुलिस के साथ एनडीआरएफ ने पैनी नजर रखी हुई है। बीते दिनों खुद काशी जोन के एडीसीपी सरवण टी ने एनडीआरएफ के साथ अस्सी घाट से लेकर नमो घाट तक बाढ़ का जायजा लिया और लोगों को गहरे पानी मे न जाने की सलाह दी है।

किनारों के मंदिर हुए जलमग्न
मंदिरों का शहर कहे जाने वाले बनारस में कई प्राचीन मंदिर गंगा घाट के किनारे हैं, जो काशी को उसकी पहचान दिलाते हैं। बाढ़ का असर घाट के किनारे बने मंदिरों पर भी सीधा पड़ा है। मणिकर्णिका घाट का रत्नेश्वर मंदिर, सिंधिया घाट के मंदिर, पंचगंगा घाट पर बना भव्य शिव मंदिर सहित दशाश्वमेध घाट के कई बड़े और छोटे मंदिर जलस्तर बढ़ने के कारण जलमग्न हो चुके हैं।

सावधानी बरतने की सलाह
गंगा के अलावा वरुणा के किनारे पर बड़ी संख्या में लोग रहते हैं। ऐसे में गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण जिला प्रशासन ने हर साल बनाई जाने वाली बाढ़ चौकियों पर कर्मचारियों की तैनाती कर दी है। हालांकि अभी गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से दूर है, ऐसे में एनडीआरएफ और जल पुलिस के अधिकारी लगातार लोगों को सतर्कता बरतने और न घबराने की सलाह दे रहे हैं।