नौकरी करते हुए भी ईपीएफओ से छूटे कर्मचारियों को मिलेगा लाभ, यूपी के जिलों में कल से चलेगा अभियान

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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने पंजीकृत संस्थानों में काम करने के बावजूद पीएफ योजनाओं से वंचित कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत दी है। अब छूटे कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति की पुरानी तारीख (बैक डेट) से नामांकित कराकर उन्हें ईपीएफओ की सभी योजनाओं का लाभ दिया जा सकेगा। एक जुलाई 2017 से 31 अक्तूबर 2025 के बीच किसी संस्थान में नौकरी करने के बावजूद ईपीएफओ में नामांकित न होने वाले कर्मचारियों का नामांकन कराया जा सकेगा। यूपी के सभी जिलों में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के तहत ईपीएफओ एक नवंबर 2025 से 30 अप्रैल 2026 तक कर्मचारी नामांकन अभियान (ईईसी 2025) चलाएगा।

इन आठ वर्षों के बीच ईपीएफओ में नामांकन कराने पर कर्मचारियों को हर महीने वेतन से कटने वाला पीएफ अंशदान भी नहीं जमा करना होगा। सिर्फ नियोक्ताओं या संस्थानों को ही कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में अपने हिस्से का अंशदान जमा करना होगा। कर्मचारी का पीएफ न कटवाने पर नियोक्ताओं और संस्थानों की कोई कमी नहीं मानी जाएगी और वास्तविक बड़ी जुर्माना राशि को माफ करते हुए नाममात्र हर्जाना के रूप में महज 100 रुपये जमा कराने होंगे। नियोक्ताओं को अपना पिछला रिकॉर्ड नियमित करने में मदद मिलेगी।

कर्मचारियों को छह-छह महीने में कुल 15 हजार रुपये इंसेटिव मिलेगा
ईईसी का लाभ लेने वाले संस्थानों में योजना के ऐलान के पहले नौकरी छोड़ चुके कर्मचारियों के बारे में ईपीएफओ स्वत: अनुपालन की कार्रवाई भी नहीं करेगा। बल्कि ईईसी- 2025 के तहत अतिरिक्त कर्मचारियों की घोषणा करने पर उन्हें प्रधानमंत्री-विकसित भारत रोजगार योजना (पूर्व में ईएलआई) का लाभ मिलेगा। इससे नई नौकरी पर नियोक्ता को एक से तीन हजार रुपये प्रति माह प्रति कर्मचारी दो वर्षों तक सरकार देगी और कर्मचारियों को छह-छह महीने में कुल 15 हजार रुपये इंसेटिव मिलेगा।

छह महीने तक चलेगा अभियान
कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए और उन्हें सरकार की सभी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए यह अभियान छह महीने तक चलाया जा रहा है। एक नवंबर 2025 से 30 अप्रैल 2026 तक संस्थाओं को तीन प्रकार से अपने अपने कर्मचारियों को ईपीएफओ में नामांकन कराने का अधिकार होगा। पहला बैक डेट से नामांकन कराने पर नियोक्ता सिर्फ नियोक्ता अंशदान जमा कर दे। दूसरा किसी संस्थान में पहले से काम करने वाले कर्मचारियों को मौजूदा तारीख से नामांकित करा सकते हैं, इससे नियोक्ता को भी शेयर नहीं देना होगा और तीसरा कोई कंपनी अब तक ईपीएफओ में कवर ही नहीं थी तो ईईसी के तहत पंजीकृत करा सकते हैं।

ईपीएफओ की ऑनलाइन सुविधा के माध्यम से घोषणा करनी होगी
इसके लिए नियोक्ता को ईपीएफओ की ऑनलाइन सुविधा के माध्यम से घोषणा करनी होगी, जिसमें नियोक्ता को नामांकित कर्मचारियों का विवरण दर्शाना होगा और इसे इलेक्ट्रॉनिक चालान-सह-रिटर्न (अस्थायी रिटर्न संदर्भ संख्या) से जोड़ना होगा। जिसके माध्यम से अंशदान का भुगतान किया गया है और एक सौ रुपये का एकमुश्त दंडात्मक हर्जाना देना होगा। इसके पहले ईईसी अभियान वर्ष 2017 में चला था, जिसमें 2009 से 2016 तक छूटे हुए पात्र कर्मचारियों को नामांकित किया गया था।

यूपी के सभी 75 जिलों में ईईसी अभियान
यूपी अपर केंद्रीय भविष्य निधि, आयुक्त उदय बक्शी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में ईईसी अभियान एक नवंबर से शुरू हो रहा है। कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के साथ नियोक्ताओं के लिए भी बहुत अच्छी योजना है। नए कर्मचारियों को प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना का लाभ भी मिलेगा। नई नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे।