Chandrayaan-5 Mission: भारत-जापान साथ मिलकर चांद पर भेजेंगे ‘चंद्रयान-5 मिशन’, दोनों देशों के बीच हुई बड़ी डील

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Chandrayaan-5 Mission: पीएम नरेंद्र मोदी के जापान दौरे के बीच दोनों देशों ने ‘चंद्रयान-5’ को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भेजने के लिए एक समझौते पर साइन किए हैं। मून मिशन को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के बीच यह पैक्ट साइन किया गया है। जिसमें जाक्सा के उपाध्यक्ष मातसुरा मायुमी और जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज शामिल थे।

जानकारी के अनुसार, ‘चंद्रयान-5’ मिशन का मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव में स्थायी रूप से छायांकित क्षेत्र (पीएसआर) के आसपास के क्षेत्र में पानी समेत अस्थिर पदार्थों का अध्ययन करना है। इस मिशन के तहत जाक्सा अपने एच3-24एल प्रक्षेपण यान से प्रक्षेपित करेगा, जिसमें इसरो द्वारा बनाया गया चंद्र लैंडर होगा, जो जापान निर्मित चंद्र रोवर को ले जाएगा। लैंडर के विकास के अलावा, भारतीय एजेंसी चंद्र ध्रुवीय क्षेत्र में मौजूद वाष्पशील पदार्थों के अन्वेषण और यथास्थान विश्लेषण के लिए कुछ वैज्ञानिक उपकरण विकसित करेगी।

अपने जापानी समकक्ष शिगेरु इशिबा के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा, “हम चंद्रयान-5 मिशन के लिए इसरो और जाक्सा के बीच सहयोग का स्वागत करते हैं। हमारी सक्रिय भागीदारी पृथ्वी की सीमाओं से परे जा चुकी है और अंतरिक्ष में मानव जाति की प्रगति का प्रतीक बनेगी।” 2023 में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि अगली चुनौती चंद्र सतह के गहन अन्वेषण में है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पानी की बर्फ जैसे महत्वपूर्ण संसाधन हो सकते हैं।

मोदी ने योमिउरी शिंबुन को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “इससे (‘चंद्रयान-5’ मिशन) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों के बारे में हमारी समझ को गहरा करने में मदद मिलेगी।” उन्होंने कहा, “इसरो और जाक्सा के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारा G2G सहयोग, हमारे उद्योगों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। इससे एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बन रहा है जहाँ नवाचार दोनों ओर प्रवाहित होता है – प्रयोगशालाओं से लेकर लॉन्चपैड तक और अनुसंधान से लेकर वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों तक।”