आरबीआई का बड़ा कदम: छोटे किसानों के लिए लोन सीमा में वृद्धि
लखनऊ : भारतीय रिजर्व बैंक के नए कदम: कोलैटरल फ्री कृषि लोन सीमा में वृद्धि और स्मॉल फाइनेंस बैंकों को यूपीआई के माध्यम से क्रेडिट लाइन प्रदान करने की अनुमति
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में दो महत्वपूर्ण निर्णयों की घोषणा की, जो छोटे और सीमांत किसानों तथा वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाए गए हैं।
कोलैटरल फ्री कृषि लोन की सीमा में वृद्धि
आरबीआई ने कोलैटरल फ्री (बिना गिरवी के) कृषि लोन की सीमा को 1.6 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया है। यह निर्णय छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, जिन्हें औपचारिक वित्तीय प्रणाली के तहत ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है। यह सीमा 2019 में 1.6 लाख रुपये थी, जबकि इससे पहले 2010 में यह 1 लाख रुपये थी।
आरबीआई ने कहा कि कुल मुद्रास्फीति और कृषि इनपुट लागत में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए इस सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इससे छोटे और सीमांत किसानों का औपचारिक ऋण प्रणाली में कवरेज बढ़ेगा और उन्हें अधिक आसानी से वित्तीय सहायता मिल सकेगी।
स्मॉल फाइनेंस बैंकों को यूपीआई के माध्यम से क्रेडिट लाइन देने की अनुमति
आरबीआई ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए स्मॉल फाइनेंस बैंकों (एसएफबी) को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के माध्यम से पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइनें प्रदान करने की अनुमति दी है। इससे पहले यह सुविधा केवल कमर्शियल बैंकों को ही मिलती थी, लेकिन अब एसएफबी और अन्य छोटे वित्तीय संस्थानों को भी इसका लाभ मिलेगा।
इस कदम से छोटे और मझोले व्यवसायों और उपभोक्ताओं को कम-टिकट, कम-अवधि के लोन प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यूपीआई के माध्यम से क्रेडिट लाइनों को जोड़ने की सुविधा से ग्राहकों तक अधिक तेजी से और सस्ते तरीके से लोन पहुंचने की संभावना है।
आरबीआई ने कहा कि स्मॉल फाइनेंस बैंक उच्च तकनीक, कम लागत वाले मॉडल पर काम करते हैं, जिससे उन्हें अपने ग्राहकों तक पहुंचने में मदद मिलती है। इस फैसले से देश के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले ग्राहकों को भी वित्तीय सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी, जो अब तक इनसे वंचित थे।
आरबीआई के ये कदम छोटे किसानों और व्यवसायों के लिए वित्तीय समावेशन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। कोलैटरल फ्री कृषि लोन की सीमा में वृद्धि और स्मॉल फाइनेंस बैंकों को यूपीआई के माध्यम से क्रेडिट लाइन देने की अनुमति, दोनों निर्णय ग्रामीण भारत में वित्तीय सेवाओं की पहुंच को बढ़ाने और देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में अहम कदम हैं।