एफएसएसएआई का बड़ा फैसला : अब किसी भी ब्रांड नाम में ‘ओआरएस’ शब्द का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित

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भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने देशभर के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य आयुक्तों को एक नया आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अब किसी भी खाद्य उत्पाद के नाम या ब्रांड में ‘ओआरएस’ (ORS) शब्द का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। यह आदेश फलों पर आधारित (फ्रूट-बेस्ड), नॉन-कार्बोनेटेड या रेडी-टू-ड्रिंक पेय पदार्थों पर भी लागू होगा।

एफएसएसएआई ने अपने आदेश में साफ किया है कि यह निर्णय पहले जारी किए गए दो पुराने आदेशों 14 जुलाई 2022 और 2 फरवरी 2024 को निरस्त (सुपरसिड) करता है। यानी अब वे दोनों आदेश अमान्य माने जाएंगे। पहले के आदेशों में कुछ कंपनियों को अपने उत्पादों के ब्रांड नाम में ‘ओआरएस’ शब्द इस्तेमाल करने की छूट दी गई थी, बशर्ते वे यह चेतावनी लिखें कि उनका उत्पाद डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित ओआरएस फॉर्मूला नहीं है।

लेकिन अब एफएसएसएआई ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी खाद्य उत्पाद के नाम, ब्रांड या लेबल पर ‘ओआरएस’ शब्द का उपयोग (चाहे वह किसी अन्य शब्द के साथ उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में ही क्यों न हो) खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों का उल्लंघन है। प्राधिकरण के अनुसार, ऐसे नाम या लेबल उपभोक्ताओं को भ्रमित करते हैं और गलत जानकारी प्रदान करते हैं।

एफएसएसएआई ने यह भी बताया कि ऐसे उत्पाद खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 23 और 24, खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम 2020 के उप-विनियमन 4(3) और 5(1), तथा खाद्य सुरक्षा एवं मानक (विज्ञापन और दावे) विनियम 2018 की धारा 4(1) और 4(13) का उल्लंघन करते हैं।

इन प्रावधानों के उल्लंघन पर उत्पाद को “मिसब्रांडेड” और “मिसलीडिंग” माना जाएगा, जिसके लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 52 और 53 के तहत सजा और जुर्माने का प्रावधान है। एफएसएसएआई ने यह भी स्पष्ट किया कि पुराने दोनों आदेश तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाते हैं। हालांकि, 8 अप्रैल 2022 को जारी धारा 16(5) के तहत जो दिशानिर्देश ओआरएस के विकल्प उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों और मार्केटिंग संबंधी थे, वे जारी रहेंगे। एफएसएसएआई ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य आयुक्तों से कहा है कि इस आदेश को सख्ती से लागू किया जाए ताकि उपभोक्ताओं को झूठे दावों और भ्रामक विज्ञापनों से बचाया जा सके।