अमित शाह ने EARTH Summit 2025 का उद्घाटन किया, सहकारिता क्षेत्र की 13 नई सेवाएं शुरू
गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को गांधीनगर के महात्मा मंदिर में EARTH Summit 2025 के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने ‘सहकार सारथी’ पहल के तहत 13 से अधिक नई सेवाएँ और उत्पाद लॉन्च किए। इन नई सेवाओं में डिजी केसीसी, कैम्पेन सारथी,वेबसाइट सारथी, कोऑपरेटिव गवर्नेंस इंडेक्स, ई-पीएसीएस, विश्व का सबसे बड़ा ग्रेन स्टोरेज एप्लीकेशन, शिक्षा सारथी और सारथी टेक्नोलॉजी फोरम जैसी सेवाएँ शामिल हैं।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि EARTH Summit की यह दूसरी बैठक तीन सम्मेलनों की श्रंखला का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना और ग्रामीण विकास से जुड़े चुनौतियों का समाधान ढूँढना है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े चार मंत्रालयों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर इन सम्मेलनों में चर्चा होगी और अगले वर्ष दिल्ली में होने वाले तीसरे सम्मेलन में संपूर्ण नीति ढाँचा तैयार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने हमेशा इस बात पर जोर दिया था कि भारत का विकास गाँवों के केंद्र में रहना चाहिए, लेकिन आजादी के बाद इसे नजरअंदाज किया गया। कृषि, पशुपालन और सहकारिता को लंबे समय तक महत्व नहीं मिला, लेकिन 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ग्रामीण विकास को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया गया है। अमित शाह ने बताया कि सरकार का लक्ष्य आने वाले वर्षों में हर पंचायत में एक सहकारी संस्था स्थापित करना, सहकारी सदस्यता को 50 करोड़ से अधिक तक बढ़ाना और सहकारी क्षेत्र का GDP में योगदान बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि जब ये लक्ष्य पूरे होंगे, तब छोटी किसान महिला से लेकर ग्रामीण पशुपालक तक कोई भी नागरिक पीछे नहीं रह जाएगा।
शाह ने गुजरात में कोऑपरेशन अमंग कोऑपरेटिव्स’ मॉडल की सफलता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुजरात में मार्केट, डेयरी, PACS और अन्य सहकारी संस्थाओं को जिला स्तर पर एक साथ जोड़ने से कम लागत वाली जमा राशि में बढ़ोतरी हुई है। सभी सहकारी संस्थाओं के खाते सहकारी बैंकों में रखने के मॉडल से जमा राशि मजबूत हुई है और सहकारी क्षेत्र की ऋण क्षमता पाँच गुना तक बढ़ी है। उन्होंने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य गुजरात और बनासकांठा मॉडल अपनाकर Priority Sector Lending की पूरी क्षमता का उपयोग करना है।
प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हुए शाह ने कहा कि सहकारी संस्थाएँ बिना डिजिटल सहायता के आगे नहीं बढ़ सकतीं। छोटी सहकारी संस्थाओं के पास तकनीकी ढांचा विकसित करने की क्षमता नहीं थी, लेकिन NABARD ने ‘सहकार सारथी’ के माध्यम से 13+ डिजिटल सेवाएँ उपलब्ध कराकर इस समस्या को हल किया। अब सभी जिला केंद्रीय, राज्य, कृषि और शहरी सहकारी बैंक एक ही तकनीकी ढांचे पर काम करेंगे। इससे आधुनिक बैंकिंग सुविधाएं, रियल-टाइम ट्रैकिंग, रिकवरी, डिस्बर्समेंट, KYC, लीगल डॉक्यूमेंटेशन और अन्य डिजिटल सेवाएं उपलब्ध होंगी। शाह ने कहा कि RBI के सहयोग से एक मजबूत सहकारी बैंकिंग सिस्टम बनाया जा रहा है और जल्द ही ई-केसीसी का उपयोग करने वाले किसानों को अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएँ मिलेंगी।

शाह ने बताया कि सॉफ्टवेयर आधारित सिस्टम से उन क्षेत्रों की पहचान की जाएगी जहाँ सहकारी संस्थाओं का विस्तार जरूरी है। उन्होंने कहा कि गुजरात ने डेयरी क्षेत्र में एक सर्कुलर इकॉनमी मॉडल विकसित किया है जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलता है, और अब यह मॉडल पूरे देश में लागू किया जाएगा। अमित शाह ने आगे बताया कि आज लगभग 49 लाख किसान प्रमाणित जैविक उत्पादन से जुड़े हैं और 40 से अधिक ऑर्गेनिक उत्पाद ऑनलाइन उपलब्ध हैं। भारत के ऑर्गेनिक बाजार को 2035 तक वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए Bharat Organics और Amul के साथ एक राष्ट्रीय लैब नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है। मल्टी-स्टेट सहकारी संस्थाएँ उत्पादन खरीदेंगी, परीक्षण करेंगी और निर्यात करेंगी ताकि भुगतान सीधे किसानों के खातों में पहुँच सके।
उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय ने सहकार टैक्सी प्लेटफॉर्म शुरू किया है, जिसकी ट्रायल फेज में 51,000 से अधिक ड्राइवर जुड़ चुके हैं। इसका लक्ष्य देश की सबसे बड़ी सहकारी टैक्सी कंपनी बनाना है। इसके अलावा कोऑपरेटिव इंश्योरेंस के मॉडल में स्वास्थ्य, जीवन, कृषि और दुर्घटना बीमा को एक ही ढाँचे में जोड़ा जाएगा, जिससे कृषि, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी क्षेत्र मजबूत होंगे।
कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, विधानसभा अध्यक्ष शंकरभाई चौधरी, कृषि एवं सहकारिता मंत्री जीतू भाई वाघाणी, उपाध्यक्ष और NAFED चेयरमैन जेठा भाई आहिर, सहकारिता सचिव आशीष कुमार भूतानी, गुजरात स्टेट कोऑपरेटिव बैंक चेयरमैन अजय भाई पटेल और NABARD चेयरमैन शाजी के.वी. सहित कई अधिकारी उपस्थित थे।

