चक्रवात दितवाह : भारत ने ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ शुरू किया, श्रीलंका को बड़े पैमाने पर भेजी राहत सामग्री
Rescue teams arrive by boat to assist affected people after heavy rains from Cyclone ''Ditwah'' sweep through Colombo, Sri Lanka, on November 29, 2025. (Photo by Krishan Kariyawasam/NurPhoto via Getty Images)
श्रीलंका में चक्रवात दितवाह ने भारी तबाही मचाई है। 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों परिवार बाढ़ और भूस्खलन से बेघर हो गए हैं। इस कठिन समय में भारत ने तुरंत मदद भेजकर श्रीलंका का साथ दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत भारतीय सेनाओं ने कम समय में राहत सामग्री और बचाव दल श्रीलंका पहुंचाए हैं।
सबसे पहले भारतीय नौसेना ने राहत कार्य शुरू किया। कोलंबो में मौजूद आईएनएस विक्रांत और आईएनएस उदयगिरि ने 4.5 टन सूखा राशन, 2 टन ताजा राशन, दवाइयां और अन्य जरूरी सामग्री प्रभावित इलाकों में पहुंचाई। आईएनएस विक्रांत से दो चेतक हेलीकॉप्टर भी उड़ान भर चुके हैं, जो श्रीलंकाई वायुसेना के जवानों के साथ मिलकर बाढ़ वाले इलाकों में खोज और बचाव कार्य कर रहे हैं।
भारतीय वायुसेना ने भी तेजी से कदम उठाए। आज सुबह एक सी-130 जे विमान करीब 12 टन मानवीय सहायता लेकर कोलंबो पहुंचा। इसमें टेंट, तिरपाल, गर्म कपड़े, स्वच्छता किट और तैयार भोजन शामिल था। इसके तुरंत बाद एक आईएल-76 विमान भी उतरा, जो 9 टन राहत सामग्री, 80 एनडीआरएफ कर्मियों की टीम, 4 स्निफर डॉग्स और 8 टन विशेष एचएडीआर उपकरण लेकर आया। ये टीमें अब पूर्वी और मध्य श्रीलंका में तैनात हैं, जहां नदियां उफान पर हैं और सड़कें पानी में डूबी हुई हैं।

चक्रवात के असर से कोलंबो का भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी प्रभावित हुआ है, जहां सैकड़ों भारतीय यात्री फंस गए हैं। कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग की टीम हवाई अड्डे पर मौजूद है और यात्रियों को खाना, पानी, दवा और अस्थायी ठहरने की जगह मुहैया करा रही है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “ऑपरेशन सागर बंधु तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत श्रीलंका के साथ मजबूती से खड़ा है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर कहा, “श्रीलंका के भाइयों और बहनों के दुख में हम साझेदार हैं। भारत जितनी जरूरत हो, उतनी मदद देगा।” भारत और श्रीलंका की टीमें मिलकर राहत और बचाव अभियान को आगे बढ़ा रही हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सके और श्रीलंका में हालात जल्द सामान्य हो सकें।

