UP DElEd : यूपी डीएलएड में दाखिले के लिए आवेदन इसी माह से, 233350 सीटों पर होगा एडमिशन

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यूपी में डीएलएड में एडमिशन की अर्हता स्नातक रखने संबंधी शासनादेश बहाल करने के हाईकोर्ट के फैसले के बाद 2025-26 सत्र के लिए डीएलएड में दाखिले के आवेदन इसी महीने के अंत से प्रस्तावित हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से प्रवेश की संभावित समय सारिणी शासन को भेजी गई है, जिसकी मंजूरी मिलने के बाद ऑनलाइन आवेदन शुरू होंगे। प्रदेश के 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की 10600 व 2974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 कुल 2,33,350 सीटों पर प्रवेश होना है। अर्हता का मामला हाईकोर्ट में लंबित होने के कारण प्रवेश प्रक्रिया चार महीने से अधिक पिछड़ गई है। डीएलएड में प्रवेश के लिए हर साल आमतौर पर ऑनलाइन आवेदन मई या जून में शुरू हो जाते हैं।

3 नवंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएलएड में प्रवेश के लिए न्यूनतम अर्हता स्नातक रखने के शासनादेश को सही ठहराते हुए शासनादेश के खंड 4(1) को निरस्त करने के एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सरकार को ट्रेनिंग कोर्स में प्रवेश या सहायक अध्यापक की नियुक्ति की न्यूनतम अर्हता तय करने का अधिकार है, जो एनसीटीईटी निर्धारित अर्हता से कम नहीं हो सकती, अधिक भले रखी जा सकती है।

कोर्ट ने कहा था कि एनसीटीई ने स्वयं ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर शिक्षा मानक निर्धारित करने के लिए न्यूनतम अर्हता निर्धारित की है। डीएलएड में प्रवेश की न्यूनतम अर्हता स्नातक रखना मनमाना व भेदभाव पूर्ण नहीं है। राज्य सरकार का कहना था कि सरकार को न्यूनतम अर्हता तय करने का अधिकार है, जिसके तहत स्नातक में 50 फीसदी अंक अर्हता निर्धारित की गई है। यह बेसिक शिक्षा नियमावली के अनुरूप है और एनसीटीई के मानक का उल्लघंन नहीं है। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार को अर्हता बढ़ाने का अधिकार है।

खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति व सहायक अध्यापक नियुक्ति की निर्धारित अर्हता की अनदेखी नहीं की जा सकती। न्यूनतम अर्हता निर्धारित करने के सरकार के अधिकार पर कोई विवाद नहीं है, जिसने ट्रेनिंग कोर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम अर्हता स्नातक निर्धारित की है। कोर्ट ने कहा कि एनसीटीईटी निर्धारित अर्हता अकेले नहीं पढ़ी जाएगी। अध्यापकों की नियुक्ति अर्हता के साथ देखी जाएगी। शिक्षा की गुणवत्ता भी देखी जाएगी। खंडपीठ ने कहा कि कई ट्रेनिंग कोर्स की न्यूनतम अर्हता स्नातक रखी गई है। एकल पीठ ने विस्तृत विमर्श किए बगैर आदेश दिया है, जो बने रहने लायक नहीं है।