Economic Terrorism: ‘डिजिटल अरेस्ट’ केस में पश्चिम बंगाल की कोर्ट का बड़ा फैसला, 9 साइबर फ्रॉड को उम्रकैद

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Economic Terrorism: पिछले एक साल से देश में कई डिजिटल अरेस्ट (एक तरह का साइबर फ्रॉड) के मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें अपराधियों ने फोन कॉल पर खुद को पुलिस, सीबीआई और अन्य विभागों के अधिकारी बताकर लोगों के साथ ठगी। इस दौरान कॉल करने वाले ने उन्हें कॉल डिस्कनेक्ट न करने का आदेश दिया और “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर अलग-अलग बैंक खातों में पैसे जमा करवाए। ऐसे ही साइबर फ्रॉड से जुड़े मामलों में 9 साइबर फ्रॉड्स को पश्चिम बंगाल की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।

पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की कल्याणी कोर्ट ने गुरुवार को डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों के 9 आरोपियों को दोषी करार दिया था। जिसके बाद शुक्रवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। विशेष लोक अभियोजक बिवास चटर्जी के अनुसार, देश में किसी डिजिटल अरेस्ट मामले में यह पहली सजा है। इस मामले में ट्रायल 24 फरवरी 2025 को शुरू हुआ और सिर्फ साढ़े चार महीने में पूरा हो गया। घटना के आठ महीने के अंदर ही पूरे ट्रायल की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। यह मामला 6 नवंबर 2024 का है, जो रिटायर्ड साइंटिस्ट पार्थ कुमार मुखर्जी से जुड़ा है।

पार्थ कुमार मुखर्जी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें एक वॉट्सएप कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले शख्स ने खुद को मुंबई पुलिस का सब-इंस्पेक्टर हेमराज कोली बताया। कॉल करने वाले शख्स ने बुजुर्ग को किसी आर्थिक घोटाले में आरोपी बताते हुए उन्हें कुछ दस्तावेज भी भेजे। इसके बाद आरोपी ने मुखर्जी को धमकी दी कि अगर वे उसकी बात नहीं मानेंगे तो उन्हें और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। फिर ठग ने पीड़ित को कॉल डिस्कनेक्ट न करने का आदेश दिया। साथ ही “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर अलग-अलग बैंक खातों में कुल 1 करोड़ रुपये जमा करवाए।

पूरे घटनाक्रम के बाद में जब कॉल करने वाले शख्स का नंबर बंद हो गया तो पार्थ कुमार को समझ आया कि उनके साथ ठगी की गयी है। पीड़ित की लिखित शिकायत के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, रानाघाट ने केस दर्ज करके मामले की जांच शुरू की तो पाया कि पार्थ कुमार को कॉल कंबोडिया से किया गया था। जिस वॉट्सएप नंबर से उन्हे कॉल किया गया वह भारत में जारी सिम से रजिस्टर्ड था। हालांकि, कंबोडिया में बैठे आरोपियों को हिंदी व बंगाली भाषा की अच्छी जानकारी थी।

जांच में पता चला कि पैसे अलग-अलग भारतीय खातों में भेजे गए, जो कि देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों के नाम पर थे। 9 आरोपियों में से 7 के खाते में ठगी के सीधे ट्रांसफर हुए थे। यह बात भी सामने आयी कि इन साइबर ठगों ने देश भर के 108 लोगों के साथ ऐसी ही ठगी की थी। इन मामले में कुल 13 आरोपियों को महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान से गिरफ्तार हुई। जिनमें से 9 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। इस मामले के गवाहों में देश के अलग-अलग राज्यों के बैंक मैनेजर और मुंबई पुलिस के SHO शामिल रहे। सभी दोषियों पर भारतीय न्याय संहिता की कई धाराएं और आईटी एक्ट की धारा 66C और 66D लगाई गईं, जो धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और साइबर अपराध से जुड़ी हैं।

डिजिटल अरेस्ट मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले दोषियों की लिस्ट

जतिन अनूप लाडवाल – नालासोपारा, महाराष्ट्र

रोहित सिंह – हिसार, हरियाणा

रूपेश यादव – रेवाड़ी, हरियाणा

साहिल सिंह – रेवाड़ी, हरियाणा

सुमैया बानो पठान – सूरत, गुजरात

अशोक फाल्दू – जामनगर, गुजरात

मोहम्मद इम्तियाज़ अंसारी – उल्हासनगर, महाराष्ट्र

शाहिद अली शेख – उल्हासनगर, महाराष्ट्र

शाहरुख रफीक शेख – ठाणे, महाराष्ट्र