भारत के वित्तीय समावेशन की तीव्र रफ्तार : प्रधानमंत्री जन धन योजना के 55.98 करोड़ लाभार्थी, एक महीने में खोले गए 6.65 लाख

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बैंकिंग को शाखाओं से भी कहीं आगे ले जाकर आर्थिक तौर पर सशक्त भारत बनाने की दूरदर्शिता एक बड़ी सफलता सिद्ध हो रही है, सुदूर से लेकर शहरी क्षेत्रों तक, समावेशी वित्तीय प्रणालियों के साथ पूरे देश में बदलाव की लहर देखी जा सकती है। बैंक खाते, क्रेडिट, पेंशन, बीमा जो कभी कुछ लोगों के लिए विशेष साधन थे, अब सभी के लिए उपलब्ध हैं।

वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाएं विभाग ने हाल ही में ग्राम पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों में वित्तीय समावेशन योजनाओं की पहुंच के लिए 3 महीने का अभियान शुरू किया है, जो जुलाई, 2025 से शुरू होगा और सितंबर, 2025 तक जारी रहेगा, जिससे सभी बिना बैंक वाले नागरिक को शामिल किया जा सके। अभियान में बकाया बचत खातों की पुनः केवाईसी, नए बैंक खाते खोलना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के अंतर्गत नामांकन शामिल है। वित्तीय शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, अभियान डिजिटल धोखाधड़ी की रोकथाम, शिकायत निवारण और लावारिस जमाओं तक पहुंच के बारे में जागरूकता भी प्रदान करता है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के आधार पर, अभियान की एक महीने की रिपोर्ट सफलता दर्शाती है। जुलाई के महीने में 99,753 शिविर आयोजित किए गए, जहां प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के अंतर्गत लगभग 6.65 लाख खाते खोले गए।

वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता पहलों का सुदृढ़ीकरण

वित्तीय सेवाओं, उत्पादों और वित्तीय साक्षरता की पहुंच बढ़ रही है और आरबीआई की ओर से जारी किए गए हालिया आंकड़े इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च 2025 को खत्म होने वाले वर्ष के लिए वित्तीय समावेशन सूचकांक (एफआई-इंडेक्स) जारी किया, जो मार्च 2024 में 64.2 की तुलना में मार्च 2024 में 67.0 है। एफआई-इंडेक्स को देश भर में वित्तीय समावेशन को मापने के उद्देश्य से 2021 में लॉन्च किया गया था, वित्त वर्ष 2025 में एफआई-इंडेक्स में सुधार इस्तेमाल और गुणवत्ता के आयामों में बढ़ोतरी का प्रतिबिंब है, जो वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता पहलों के सुदृढ़ीकरण का संकेत देता है।

सभी के लिए बैंकिंग तक पहुंच प्राप्त करने और आर्थिक उत्पादन, गरीबी और आय असमानता में गुणक प्रभाव का लाभ उठाने के लिए, सरकार ने आपूर्ति एवं मांग पक्ष के बुनियादी ढांचे और वित्तीय साक्षरता पर केंद्रित कई रणनीतियां शुरू की हैं। वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय रणनीति 2019-2024 (एनएसएफआई) और वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति 2020-2025 (एनएसएफई) वित्तीय समावेशन, वित्तीय साक्षरता और उपभोक्ता संरक्षण की दिशा में एक समन्वित दृष्टिकोण का मार्ग दिखाती हैं।

वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय रणनीति (2019-2024)

ज्ञात हो, वित्तीय सेवाओं और उत्पादों तक पहुंच से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिए 2019 में राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन रणनीति शुरू की गई थी, जिसके निम्नलिखित उद्देश्य थे-

  • वित्तीय सेवाओं तक सभी की पहुंच- इसका उद्देश्य 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले प्रत्येक गांव को एक औपचारिक वित्तीय सेवा प्रदाता तक पहुंच प्रदान करना है और ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया परेशानी मुक्त, डिजिटल और कागज के कम इस्तेमाल वाली होनी चाहिए।
  • वित्तीय सेवाओं का मूलभूत संग्रह प्रदान करना– प्रत्येक इच्छुक और पात्र वयस्क को वित्तीय सेवाओं का मूलभूत संग्रह प्रदान किया जाना चाहिए, जिसमें एक बुनियादी बचत बैंक जमा खाता, क्रेडिट, एक माइक्रो लाइफ और नॉन-लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट, एक पेंशन उत्पाद और एक उपयुक्त निवेश उत्पाद शामिल हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) इसी उद्देश्य का एक हिस्सा थी।
  • आजीविका और कौशल विकास तक पहुंच- यदि कोई नागरिक कौशल विकास कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पात्र और इच्छुक है, तो उसे ऐसी जानकारी प्रदान की जानी चाहिए, जिससे उसे आर्थिक गतिविधियों में भाग लेने और आय सृजन में सहायता मिल सके।
  • वित्तीय साक्षरता और शिक्षा– लक्षित दर्शकों के लिए देखने-सुनने वाली सामग्री के साथ समझने में आसान मॉड्यूल तैयार किए जाने चाहिए, ताकि वित्तीय उत्पादों का ज्ञान साझा किया जा सके।
  • ग्राहक संरक्षण और शिकायत निवारण- ग्राहकों को उनकी शिकायतों के समाधान के लिए उपलब्ध संसाधनों से अवगत कराया जाएगा।

वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति

वहीं, वित्तीय साक्षरता उपयोगकर्ताओं को सही वित्तीय फैसले लेने में सक्षम बनाती है जिससे लोगों की वित्तीय भलाई तय होती है। भारत में, केंद्र और राज्य सरकारें, वित्तीय क्षेत्र के नियामक, वित्तीय संस्थान, नागरिक समाज, शिक्षा जगत और शैक्षणिक संस्थान, सभी वित्तीय साक्षरता के प्रसार में शामिल हैं।

वित्तीय समावेशन के लिए प्रमुख पहल

दरअसल, सरकार का लक्ष्य वंचित और वंचित आबादी तक वित्तीय सेवाओं का विस्तार करना है। देश में नागरिकों की वित्तीय भागीदारी को व्यापक बनाने के लिए, सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों और आबादी के विभिन्न वर्गों में कई पहल शुरू की हैं।

प्रधानमंत्री जन धन योजना

यह एक योजना नहीं, बल्कि भारत को आर्थिक रूप से समावेशी बनाने की दिशा में एक क्रांति है। इस योजना के अंतर्गत नागरिकों को बुनियादी बचत और जमा खातों, धन प्रेषण, ऋण, बीमा और पेंशन तक किफायती होने के साथ पहुंच मिलती है।

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना

आपको बता दे, 9 मई 2015 को शुरू की गई प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना ने विशेष रूप से गरीबों और वंचितों को अचानक मृत्यु और विकलांगता का कवरेज प्रदान करते हुए एक दशक पूरा कर लिया है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) ने पूरे देश में दुर्घटना बीमा कवरेज प्रदान करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। 19 मार्च, 2025 तक, इस योजना में कुल 50.54 करोड़ लोगों का नामांकन हो चुका है, जो इसकी व्यापक पहुंच को दिखाता है। यह योजना ₹20/- वार्षिक प्रीमियम पर आकस्मिक मृत्यु के लिए एक वर्ष का कवर और दुर्घटना के कारण मृत्यु या विकलांगता के लिए विकलांगता कवर प्रदान करती है, जिसका वार्षिक नवीनीकरण ₹20/- है। मृत्यु होने पर, नामांकित व्यक्ति को ₹2 लाख मिलते हैं।

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना

प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना एक बीमा योजना है जो किसी भी कारण से हुई मृत्यु पर जीवन बीमा कवर प्रदान करती है और गरीब और ग्रामीण आबादी सहित बड़ी आबादी को किफायती बीमा प्रदान करती है। प्रति ग्राहक ₹436/- वार्षिक प्रीमियम के साथ, यह योजना ₹2 लाख का जीवन बीमा प्रदान करती है।

अटल पेंशन योजना

अटल पेंशन योजना के अंतर्गत लोगों को मासिक पेंशन प्रदान की जाती है, जिससे वे बुढ़ापे में भी सम्मानजनक जीवन जी सकें। यह योजना असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए है, जिनके पास अक्सर औपचारिक पेंशन कवरेज नहीं होती। इस योजना में शामिल होने के लिए आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए और बचत बैंक खाता होना आवश्यक है। अटल पेंशन योजना के अंतर्गत, 60 वर्ष की आयु में, अंशदाताओं के योगदान के आधार पर, प्रति माह ₹1,000, 2,000, 3,000, 4,000 या 5,000 की न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाएगी।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

8 अप्रैल 2015 को शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है। यह योजना विनिर्माण, व्यापार या सेवा क्षेत्रों में लगे आय-पैदा करने करने वाले लघु और सूक्ष्म उद्यमों को ₹20 लाख तक के लोन की सुविधा प्रदान करती है, जिसमें कृषि से संबंधित गतिविधियां जैसे मुर्गी पालन, डेयरी, मधुमक्खी पालन आदि शामिल हैं।

स्टैंड अप इंडिया योजना

स्टैंड-अप इंडिया योजना 5 अप्रैल 2016 को जमीनी स्तर पर उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य ऊर्जावान, उत्साही और महत्वाकांक्षी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों के आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन पर केंद्रित है ताकि उन्हें मैन्युफैक्चरिंग, सेवा या व्यापार क्षेत्र और कृषि से संबंधित गतिविधियों में नए उद्यम शुरू करने में मदद मिल सके।

एकीकृत भुगतान इंटरफेस

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की ओर से 2016 में लॉन्च किए गए यूपीआई ने कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन में जोड़ कर देश के पेमेंट्स इकोसिस्टम में क्रांति ला दी है। यह प्रणाली पैसों के निर्बाध लेन-देन, व्यापारी भुगतान और पीयर-टू-पीयर लेन-देन को आसान बनाती है, जिससे यूजर्स को निर्धारित भुगतान अनुरोधों के माध्यम से लचीलापन मिलता है।

महिला समृद्धि योजना

महिला समृद्धि योजना (एमएसवाई) सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि की महिलाओं को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से एक योजना है। इस योजना के अंतर्गत 20 महिलाओं के समूह को उपयुक्त शिल्प गतिविधि का प्रशिक्षण दिया जाता है और फिर उन्हें एक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) में संगठित किया जाता है। इसके बाद समूह को ₹1,40,000 तक का लोन दिया जाता है और लोन की पुनर्भुगतान अवधि 3.5 साल होती है। मार्च 2025 तक इस योजना के अंतर्गत पूरे भारत में महिला लाभार्थियों को ₹72,859 लाख वितरित किए जा चुके हैं।

किसान क्रेडिट कार्ड

किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) एक बैंकिंग उत्पाद है जो किसानों को कृषि से जुड़ी वस्तुएं खरीदने, अल्पकालिक क्रेडिट की जरूरतों को पूरा करने, फसल कटाई के बाद के खर्चों, मार्केटिंग के लिए लोन, किसान परिवार की बुनियादी जरूरतों, खेत के रख-रखाव के लिए कार्यशील पूंजी और कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए निवेश ऋण आवश्यकताओं के लिए समय पर और किफायती क्रेडिट प्रदान करता है।

उल्लेखनीय है, वित्तीय समावेशन सूचकांक का जारी होना पिछले कुछ वर्षों में निरंतर बढ़ोतरी को दर्शाता है, जिसमें बैंकिंग सेवाओं से वंचित प्रत्येक व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वहीं, प्रधानमंत्री जन-धन योजना वित्तीय समावेशन वाले भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई है। सरकार ने वित्तीय समावेशन अभियान की संतृप्ति जैसी पहलों के माध्यम से न्यायसंगत पहुंच के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो अंतिम व्यक्ति तक वित्त पहुंचाता है।