‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ के 5 वर्ष पूरे, मत्स्य पालन क्षेत्र को मिली मजबूती

KOCHI, INDIA - AUGUST 13: An auction takes place at a fish market on August 13, 2025 in Kochi, India. Agencies buys fish in bulks for export. U.S. president, Donald Trump, has issued an order mandating a 50 percent tariff on products from India. The US is the largest importer of Indian seafood but it is estimated that the tariff hike will drop the export of shrimp from India by at least 30 percent. Frozen shrimp is the primary seafood export to the US. India has to pay Asia's largest trade tariff on oil imports from Russia. (Photo by Elke Scholiers/Getty Images)
नई दिल्ली: मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग ने बुधवार को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के पांच वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश की अर्थव्यवस्था, पोषण और सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों में योजना के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की आधुनिकता

पीएमएमएसवाई के समग्र परिवर्तन का जश्न मनाते हुए मत्स्य पालन विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि कटिंग एज टेक्नोलॉजी को अपनाने से लेकर प्रथाओं को आधुनिक बनाने और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने तक, योजना ने समुदायों को सशक्त बनाया है और आजीविका को मजबूत किया है। विभाग ने एक पोस्ट में लिखा, “इस योजना का योगदान तटों पर जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाने, उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिए बाजार और लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने और रोजगार बढ़ाने वाले क्लस्टर-बेस्ड विकास को बढ़ावा देने के रूप में अहम रहा है।” क्लस्टर-आधारित खेती में किसान एक निश्चित इलाके में एक ही फसल उगाते हैं। इससे आसान उपलब्धता और अधिक मात्रा के कारण खरीदार रुचि दिखाते हैं, और माल ढुलाई की लागत कम होती है।
मत्स्य संपदा योजना के 5 वर्ष

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की शुरुआत 10 सितंबर 2020 को की गई थी। योजना को 20,050 करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ स्वीकृति दी गई थी। इसमें 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए केंद्र सरकार से मिले 9,407 करोड़ रुपए, राज्य सरकारों से मिले 4,880 करोड़ रुपए और लाभार्थियों के योगदान के रूप में 5,763 करोड़ रुपए शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 22 जुलाई 2025 तक मत्स्य पालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 21,274.16 करोड़ रुपए की मत्स्य विकास परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। यह योजना पिछले पांच वर्षों से मत्स्य पालन क्षेत्र को पारिस्थितिक रूप से दुरुस्त, आर्थिक रूप से सक्षम और सामाजिक रूप से समावेशी बनाने की दिशा में काम कर रही है। योजना उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता, नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल और पैदावार के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े अंतरों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
विश्व उत्पादन में दूसरा स्थान
भारत 2024-25 में 195 लाख टन मत्स्य उत्पादन के साथ इस क्षेत्र में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है, जो वैश्विक मत्स्य पालन में भारत की भूमिका को मजबूत करता है। फरवरी, 2025 तक मत्स्यपालन की उत्पादकता में 3 से 4.7 टन प्रति हेक्टेयर के राष्ट्रीय औसत से वृद्धि हुई है। पीएमएमएसवाई से मात्र पांच वर्षों में 195 लाख टन का रिकॉर्ड मछली उत्पादन हुआ है। साथ ही, 58 लाख आजीविका सृजन, 99,018 महिलाओं के सशक्तीकरण और जलवायु के अनुकूल, बाजार के लिए तैयार वैल्यू चेन का निर्माण करने के उद्देश्य में बदलाव आया है। पीएमएमएसवाई अपनी रिकॉर्ड उपलब्धियों और दूरदर्शी पहलों के साथ स्थायी और बेहतर भविष्य की ओर ‘नीली क्रांति’ को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया जारी रखे हुए है।
